*🌸 बहुत सुन्दर कथा 🌸*
*एक महिला रोज मंदिर जाती थी; ! एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा; अब मैं मंदिर नही आया करूँगी;*
*इस पर पुजारी ने पूछा -- क्यों ?*
*तब महिला बोली -- मैं देखती हूँ; लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते हैं; ! कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान चुन रखा है; ! कुछ पूजा कम पाखंड,दिखावा ज्यादा करते हैं;*
*इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे फिर कहा -- सही है ! परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से कुछ कर सकती हैं;*
*महिला बोली -आप बताइए क्या करना है ?*
*पुजारी ने कहा -- एक गिलास पानी भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए;। शर्त ये है; कि गिलास का पानी गिरना नहीं चाहिये;*
*महिला बोली -- मैं ऐसा कर सकती हूँ;*
*फिर थोड़ी ही देर में उस महिला ने ऐसा ही कर दिखाया; ! उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे; -*
*1. क्या आपने किसी को फोन पर बात करते देखा?*
*2. क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा?*
*3. क्या किसी को पाखंड करते देखा?*
*महिला बोली -- नहीं मैंने कुछ भी नहीं देखा;*
*फिर पुजारी बोले --- जब आप परिक्रमा लगा रही थीं; तो आपका पूरा ध्यान गिलास पर था कि इसमें से पानी न गिर जाए; इसलिए आपको कुछ दिखाई नहीं दिया;*
*अब जब भी आप मंदिर आयें तो अपना ध्यान सिर्फ़ परम पिता परमात्मा में ही लगाना फिर आपको कुछ दिखाई नहीं देगा; सिर्फ भगवान ही सर्वत्र दिखाई देगें;*
*जाकी रही भावना जैसी;*
*प्रभु मूरत देखी तिन तैसी;*
*जीवन मे दुःखो के लिए कौन जिम्मेदार है; ?*
*ना भगवान,*
*ना गृह-नक्षत्र,*
*ना भाग्य,*
*ना रिश्तेदार,*
*ना पडोसी,*
*जिम्मेदार आप स्वयं है;*
*आपका सरदर्द, फालतू विचार का परिणाम;*
*पेट दर्द, गलत खाने का परिणाम;*
*आपका कर्ज, जरूरत से ज्यादा खर्चे का परिणाम;*
*आपका दुर्बल /मोटा /बीमार शरीर, गलत जीवन शैली का परिणाम;*
*आपके कोर्ट केस, आप के अहंकार का परिणाम;*
*आपके फालतू विवाद, ज्यादा व् व्यर्थ बोलने का परिणाम;*
*उपरोक्त कारणों के अलावा सैकड़ों कारण है; और बेवजह दोषारोपण दूसरों पर करते रहते हैं; इसमें ईश्वर दोषी नहीं है;...!!*
*अगर हम इन कष्टों के कारणों पर बारिकी से विचार करें तो पाएंगे की कहीं न कहीं हमारी मूर्खताएं ही इनके पीछे है;...!!*
*आपका जीवन प्रकाशमय तथा शुभ हो;...!!*
🙏🏻🌹🙏🏻
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