हिन्दू धर्म की आस्था और श्रद्धा बिंदुओ पर यूपीए के शासन काल मे हुआ कुठाराघात
सोनिया गांधी की पोल खोलते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खुलासा किया है कि सोनिया गांधी ने जानबूझकर हिंदुओं को नीचा दिखाने के लिए शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को गिरफ्तार करवाया था। गौरतलब है कि नवंबर 2004 में कांग्रेस के सत्ता में आने के कुछ महीनों के भीतर ही दिवाली के मौके पर शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को हत्या के एक केस में गिरफ्तार करवाया गया था। जिस वक्त गिरफ्तारी की गई थी, तब वो 2500 साल से चली आ रही त्रिकाल पूजा की तैयारी कर रहे थे। गिरफ्तारी के बाद उन पर अश्लील सीडी देखने और छेड़खानी जैसे घिनौने आरोप भी लगाए गए थे। प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब ‘द कोएलिशन इयर्स 1996-2012’ में इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा, ”मैं इस गिरफ्तारी से बहुत नाराज था और कैबिनेट की बैठक में मैंने इस मसले को उठाया भी था। मैंने सवाल पूछा कि क्या देश में धर्मनिरपेक्षता का पैमाना सिर्फ हिंदू संत-महात्माओं तक ही सीमित है? क्या किसी राज्य की पुलिस किसी मुस्लिम मौलवी को ईद के मौके पर गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखा सकती है?”
ईसाई मिशनरियों की साजिश का शिकार बने थे शंकराचार्य
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के खुलासे से तो ये स्पष्ट है कि यह एक साजिश थी। लेकिन सवाल ये कि कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी और उन पर लगाए गए बेहूदे आरोपों के पीछे कौन था?
दरअसल जब से सोनिया गांधी कांग्रेस का नेतृत्व करते हुए सत्ता के शीर्ष को हैंडल कर रही हैं तब से ही वह हिंदुओं की धार्मिक-सांस्कृतिक आस्थाओं को कुचलने में लगी हैं। हिंदुओं के सामाजिक ताने-बाने को भी तार-तार करने में लगी हैं। शंकराचार्य की गिरफ्तारी सिर्फ भारत के हिंदू समाज के सर्वश्रेष्ठ महात्मा को अपमानित करने के लिए की गई थी। यह स्पष्ट है कि हिंदू धर्म के इतने बड़े संत को गिरफ्तार करके मीडिया में उपहास उड़वाने का काम ईसाई साजिश का ही हिस्सा थी।
हिंदुओं में सामाजिक बराबरी करवाने के प्रयास से खफा थे ईसाई संगठन
यह बात भी सामने आती रही है कि दक्षिण भारत में ईसाई धर्म को बेरोक-टोक फैलाने के लिए कांची के शंकराचार्य को जानबूझकर फंसाया गया था। जिस समय मीनाक्षीपुरम में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण की घटनाओं से पूरा हिंदू समाज सकते में था, तब कांची मठ ने सचल मंदिर बनाकर उन्हें दलित बस्तियों में भेजा और कहा कि अगर वो मंदिर तक नहीं आ सकते तो मंदिर उन तक पहुंचेगा। सामाजिक बराबरी के लिए जितनी कोशिश कांची मठ ने की उतनी शायद और किसी हिंदू संस्थान ने नहीं की होगी। स्पष्ट है कि अगर हिंदुओं में वर्गभेद खत्म हो गया तो किसी के लिए हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाना कठिन हो जाएगा। यही कारण था कि वो ईसाई मिशनरियों को खटक रहे थे।
सोनिया गांधी ने शंकराचार्य को 10 वर्षों तक सलाखों के पीछे रखवाया !
कांचीपुरम के वरदराजपेरुमल मंदिर के प्रबंधक शंकररामण की हत्या 3 सितंबर 2004 को कर दी गई थी। इस हत्याकांड में कुल 24 लोगों पर आरोप लगाये गए थे। इसी हत्याकांड में सोनिया गांधी ने तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता के साथ मिलकर साजिश रची और जयेंद्र सरस्वती को प्रमुख आरोपी बनाया गया। बाद में उनके कनिष्ठ विजयेन्द्र को भी गिरफ्तार किया गया। जयललिता कनेक्शन इसमें इसलिए उभरकर आता है, क्योंकि माना जाता है कि जयललिता की करीबी शशिकला से कांची कामकोटि पीठ का जमीन विवाद था। इसी का परिणाम था कि सोनिया गांधी की साजिश को जयललिता का समर्थन मिल गया।
…आखिरकार सच की जीत हुई और शंकराचार्य रिहा हुए
हत्या के इस आरोप पर 2009 से ले कर 2012 तक 189 गवाहों से पूछताछ की गई थी, लेकिन उनमें से 83 मुकर गए। 27 नवंबर, 2013 को पुडुचेरी की अदालत ने शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती और उनके कनिष्ठ विजयेंद्र सरस्वती को बरी कर दिया। हिंदू धर्मगुरु को 10 वर्षों तक सलाखों के पीछे रखने के बाद भी सोनिया गांधी और कांग्रेस की सरकार को कोई सबूत, कोई गवाह क्यों नहीं मिले? जाहिर है इसाई संगठनों को विस्तार देने की साजिश के तहत हिंदुओं की आस्था पर आघात सोनिया गांधी की नीति का हिस्सा है। प्रणब मुखर्जी द्वारा किए गए खुलासे से भी यह बात तो साबित होती है कि किस तरह सोनिया गांधी के नेतृत्व में हिंदुओं को टारगेट कर फंसाया गया। प्रणब मुखर्जी ने सोनिया गांधी पर सीधा निशाना नहीं साधा है, लेकिन कांग्रेस की नीतियों का तो कच्चा चिट्ठा जरूर खोल दिया है।
हिंदुओं के विरूद्ध सोनिया गांधी ने रची साजिशें !
दरअसल कांग्रेस की अगुआई में यूपीए की सरकार के दौरान सहिष्णु हिंदुओं को आतंकवादी और बलात्कारी ठहराने की कई साजिशें रची गईं। ईसाई मिशनरियों और मुस्लिम कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के लिए हिंदुओं को बार-बार कठघरे में खड़ा किया जाता रहा। सबसे खास यह कि इन कुत्सित कोशिशों की नायिका रहीं हैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी। इस बात का खुलासा पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब The Coalition Years में भी किया है कि सोनिया गांधी के अध्यक्ष रहते कांग्रेस की नीतियां हिंदू विरोधी रही हैं।
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