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ऋषिकेश, 18 अगस्त।* (दीपक पंत संवाददाता गोविंद कृपा ऋषिकेश)परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के सरताज पंडित जसराज जी के देहांत पर शोक व्यक्त करते हुये भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कुम्भ मेला उज्जैन की स्मृतियों को याद करते हुये कहा कि पंडित जसराज जी कुम्भ कैम्प में आये, साथ-साथ माँ क्षिप्रा में स्नान किया, हरिद्वार और परमार्थ निकेतन के घाट पर भी साथ -साथ गंगा स्नान, ध्यान और माँ गंगा की आरती की और वहां उपस्थित सभी भक्तों व पर्यटकों को उन्होंने अपने संगीत से अभिभूत किया, आज वे सारी स्मृतियां पुनः जीवंत हो गयी। अद्भुत थी उनकी शास्त्रीय संगीत साधना जिससे हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता था। भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित जसराज जी के देहांत पर पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करें। पंडित जसराज जी के देहांत से भारतीय शास्त्रीय जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को एक नयी पहचान दी है। वे विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तित्व के धनी थे उनकी संगीत शैली उत्कृष्ट और असाधारण है। आज वे सशरीर हमारे बीच नहीं है परन्तु अपने संगीत और सौरमण्डल के ग्रह ‘माइनर प्लेनेट’ 2006 वीपी 32 (नंबर 300128) जो कि हमारे सौरमण्डल में गुरु और मंगल के बीच रहते हुए सूर्य की परिक्रमा कर रहा है. उस रूप में हमेशा दिव्यमान रहेंगे। माँ गंगा उन्हें दिव्य शान्ति प्रदान करें। भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के महान नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की पुण्यतिथि के अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। सुभाष चंद्र बोस जी की 18 अगस्त, 1945 को विमान हादसे में रहस्यमयी ढंग से मौत हो गई थी, कुछ लोग आज भी उनकी मृत्यु को रहस्य मानते हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1920 का दशक समाज के उद्भव एवं विकास का दशक था। इस समय सुभाष चन्द्र बोस का लक्ष्य एक समतामूलक समाजवादी भारत का निर्माण करना था। वे 1920 और 1930 के दशक में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के कट्टरपंथी दल के नेता भी रहे। वर्ष 1943 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सिंगापुर में आजाद हिंद के रूप में अस्थायी सरकार की स्थापना की घोषणा की थी। उन्हें इस बात का दृढ़ विश्वास था कि सशस्त्र संघर्ष ही भारत को स्वतंत्र करने का एकमात्र तरीका है। भारत की आजादी में नेताजी का अद्भुत योगदान रहा है। उनके योगदान, संघर्ष, सेवा और साधना को नमन व भावपूर्ण श्रद्धांजलि। पंडित जसराज जी का संबंध संगीत के मेवाती घराने से है। उन्हें वर्ष 1987 और 2010 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, वर्ष 1990 में पद्म श्री, वर्ष 2000 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। नासा ने साल 2019 में पंडित जसराज के नाम पर 13 साल पुराने खोजे गए एक ग्रह का नाम रखा I ग्रह की खोज नासा और इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के वैज्ञानिकों ने मिलकर की थी I ग्रह का नाम पंडित जसराज के जन्मतिथि के उलट रखा गया था I उनकी जन्मतिथि 28, 01,1930 है और ग्रह का नंबर 300128 थाI ग्रह का पूरा नाम- ‘माइनर प्लेनेट’ 2006 वीपी 32 (नंबर 300128) थाI नासा ने इस ग्रह का नामकरण करते समय कहा था कि पंडित जसराज ग्रह हमारे सौरमण्डल में गुरु और मंगल के बीच रहते हुए सूर्य की परिक्रमा कर रहा हैI वास्तव में पंडित जसराज जी ने भारत को गौरवान्वित किया है, उनकी संगीत साधना को नमन। 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
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