बाबरी मस्जिद विध्वंस में कोर्ट के फैसले से संत समाज में हर्ष व्याप्त हरिद्वार 30 सितम्बर (विरेन्द्र शर्मा संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार) बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में कोर्ट के फैसले का संत समाज ने स्वागत किया है जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरिगिरि ने कहा कि 6दिसम्बर 1992* को *अयोध्या* में हुए *"बाबरी ध्वंस"* के प्रकरण पर आज प्रस्तुत हुए सी.बी.आई. न्यायालय के निर्णय का हम सम्मान करते हैं यह सत्य की जीत है। युग पुरूष स्वामी परमानन्द जी महाराज की शिष्या साध्वी ऋतम्भरा जो इस आंदोलन की मुख्य भूमिका में रही उन्होने ने कहा कि । मैंने हमेशा कहा है कि हम मंत्रों के रचने वाले भारतीय, कभी षड्यंत्र नहीं रचते। अयोध्या का ढाँचा ध्वंस कोई षड्यंत्र नहीं था यह हिन्दू कारसेवको का भगवान राम के प्रति समर्पण था पांच शताब्दियों से कुचली जा रही हिन्दू आस्थाओं का स्वाभाविक विस्फोट था। श्री महंत रविन्द्र पुरी ने कहा कि अपने आराध्य प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर पूजा-प्रार्थना और भव्य मंदिर के निर्माण के लिए यह साढ़े चार सौ वर्षों के हिन्दू बलिदानों की पूर्णाहुति थी यह घटना। श्री महंत ललितानंद गिरि महाराज ने कहा कि बर्बर मुगल लुटेरे बाबर के सेनापति मीरबाकी द्वारा *श्रीराम जन्मभूमि* का ध्वंस किया गया, उसकी पुनर्स्थापना के लिए हिन्दू समाज ने लंबा संघर्ष करते हुए लाखों बलिदान दिए किंतु सत्तालोलुप राजनीति ने स्वतंत्र भारत में भी हिन्दू समाज को उसका स्वाभाविक अधिकार नहीं दिया। जिसका प्रति उत्तर ये कांड था। जब न्याय नहीं मिला, अन्तहीन प्रतीक्षा ने करोड़ों हिन्दुओं को आतुर किया, जिसकी परिणिति ढाँचा ध्वंस के रूप में सामने आई। यह कोई षड्यंत्र नहीं बल्कि लाखों कारसेवकों का खुला आक्रोश था। श्री महंत देवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि हम पर आरोप लगाया गया कि हम इस ध्वंस और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के जिम्मेदार हैं, लेकिन आज के निर्णय ने सिद्ध कर दिया कि यह आरोप निराधार और दुर्भावना से प्रेरित था। यह सत्य है कि हमने *श्री राम जन्मभूमि* पर भव्य मंदिर पाने के लिए अनवरत संघर्ष किया लेकिन उसमें कहीं कोई षड्यंत्र नहीं था। इसपर आज न्यायालय ने अपनी मुहर लगाई है। इस मामले से जुड़े रहे सभी लोगों के प्रति आभार और माननीय न्यायालय को धन्यवाद, सत्य के पक्ष में निर्णय दे कर संविधान की श्रेष्ठता को कायम रखा है। म0म0 स्वामी विनय स्वरूप ब्रह्ममचारी, लाल माता मंदिर के संचालक भक्त दुर्गा दास, श्री महंत विनोद गिरि महाराज सहित संतजनो ने निर्णय का स्वागत किया है


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