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भगत सिंह सदैव रहेंगे देशवासियों के प्रेरणा के अक्षुण्ण स्त्रोत : डाॅ. बत्रा जयन्ती पर किया शहीद भगत सिंह के चरणों में किया कोटि-कोटि नमन हरिद्वार 28 सितम्बर (आकांक्षा वर्मा संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार) शहीद भगत की जयन्ती पर आज महाविद्यालय में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें अपने परिवर्तनकारी विचारों व अद्वितीय त्याग से स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा देने वाले, देश के युवाओं में स्वाधीनता के संकल्प को जागृत करने वाले शहीद भगत सिंह के चरणों में कोटि-कोटि नमन किया। इस अवसर पर काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि देश आज शहीदों के सिरमौर सरदार भगत सिंह की जयन्ती मना रहा है, माँ भारती के सपूत अमर शहीद भगत सिंह जयन्ती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन, वीरता और पराक्रम की उनकी गाथा देशवासियों को युगों-युगों तक प्रेरित करती रहेगी। साथ ही भगत सिंह सदैव हम सभी देशवासियों के प्रेरणा के अक्षुण्ण स्त्रोत रहेंगे। डाॅ. बत्रा ने कहा कि आजादी मिलने के 16 साल पूर्व ही जिन्होंने जवानी में अपने प्राण देश के लिए न्यौछावर कर दिये ताकि आगे की पीढ़ियां स्वतंत्रता की खुली हवा में सांस ले सके और एक नये भारत का निर्माण कर सके। डाॅ. बत्रा ने उपस्थित सभी में जोश भरते हुए कहा कि शहीद भगत सिंह के विचार आज भी किसी नौजवान में क्रान्ति भड़का देने की तपिश रखते हैं। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए चले आन्दोलनों में शहीद भगत सिंह की अहम भूमिका रहती थी। डाॅ. बत्रा ने शहीद भगत सिंह के नारे ‘लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज आयेगा-मेरे लहू का एक-एक कतरा कल देश में इंकलाब लायेगा’ के साथ शहीद भगत सिंह को नमन किया। डाॅ. बत्रा ने बतााय कि भगत सिंह ने एक अवसर पर कहा था कि जीवन अपने बूते जिया जाता है, दूसरों के बूते तो जनाजा निकलता है। मुख्य अधिष्ठाता डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी ने शहीद भगत सिंह की जयन्ती की पर उन्हें नमन करते हुए कहा कि जब जलियावाला बाग कांड हुआ था तो भगत सिंह केवल 12 वर्ष के थे, इस घटना से उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा और 14 वर्ष की आयु में वे स्कूल की किताबों और कपड़ों को त्यागकर देश की आग बुझाने के लिए निकल पड़े। 1920 में वे प्रथम बार महात्मा गांधी के अहिंसा आन्दोलन में शामिल हुए। डाॅ. माहेश्वरी ने कहा कि भगत सिंह मार्कस के विचारों से काफी प्रभावित थे। उनका इंकलाब जिन्दाबाद का नारा आज भी प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि उनकी लोकप्रियता का आंकलन इस तथ्य से होता है कि अंग्रेज सरकार ने तय दिन से एक दिन पूर्व ही उनको फांसी दे दी ताकि जन आक्रोश से अंग्रेज सरकार को परेशानी न हो। राजनीति विज्ञान के असि. प्रोफेसर विनय थपलियाल ने कहा कि सरदार भगत सिंह को केवल एक क्रान्तिकारी के रूप में नहीं अपितु गहन अध्ययनशील दार्शनिक के रूप में देखा जाना चाहिए और उनके क्रान्ति के विचारों को नयी पीढ़ी को आत्मसात करना चाहिए। इस अवसर पर डाॅ. जगदीश चन्द्र आर्य, मोहन चन्द्र पाण्डेय, डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, विनीत सक्सेना, नेहा गुप्ता, वैभव बत्रा, डाॅ. प्रज्ञा जोशी, नेहा सिद्दकी आदि उपस्थित शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को शहीद भगत सिंह को नमन किया।
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