Subscribe To
एक घड़ी आधी घड़ी, आधी में पुनि आध। तुलसी संगत साधु की, हरे कोटि अपराध।। #प्रेरक_प्रसंग____अवश्य_पढ़ें किसी गाँव में एक चोर रहता था। एक बार उसे कई दिनों तक चोरी करने का अवसर ही नहीं मिला, जिससे उसके घर में खाने के लाले पड़ गये। अब मरता क्या न करता, वह रात्रि के लगभग बारह बजे गाँव के बाहर बनी एक साधु की कुटिया में घुस गया। वह जानता था कि साधु बड़े त्यागी हैं, अपने पास कुछ नहीं रखते फिर भी सोचा, ‘खाने पीने को ही कुछ मिल जायेगा। तो एक दो दिन का गुजारा चल जायेगा।’ जब चोर कुटिया में प्रवेश कर रहे थे, संयोगवश उसी समय साधु बाबा ध्यान से उठकर लघुशंका के निमित्त बाहर निकले। चोर से उनका सामना हो गया। साधु उसे देखकर पहचान गये क्योंकि पहले कई बार देखा था, पर साधु यह नहीं जानते थे कि वह चोर है। उन्हें आश्चर्य हुआ कि यह आधी रात को यहाँ क्यों आया ! साधु ने बड़े प्रेम से पूछाः “कहो बालक ! आधी रात को कैसे कष्ट किया ? कुछ काम है क्या ?” चोर बोलाः “महाराज ! मैं दिन भर का भूखा हूँ। साधुः “ठीक है, आओ बैठो। मैंने शाम को धूनी में कुछ शकरकंद डाले थे, वे भुन गये होंगे, निकाल देता हूँ। तुम्हारा पेट भर जायेगा। शाम को आ गये होते तो जो था हम दोनों मिलकर खा लेते। पेट का क्या है बेटा ! अगर मन में संतोष हो तो जितना मिले उसमें ही मनुष्य खुश रह सकता है। ‘यथा लाभ संतोष’ यही तो है। साधु ने दीपक जलाया। चोर को बैठने के लिए आसन दिया, पानी दिया और एक पत्ते पर भुने हुए शकरकंद रख दिये। फिर पास में बैठकर उसे इस तरह खिलाया, जैसे कोई माँ अपने बच्चे को खिलाती है। साधु बाबा के सदव्यवहार से चोर निहाल हो गया, सोचने लगा, ‘एक मैं हूँ और एक ये बाबा हैं। मैं चोरी करने आया और ये इतने प्यार से खिला रहे हैं ! मनुष्य ये भी हैं और मैं भी हूँ। यह भी सच कहा हैः आदमी-आदमी में अंतर, कोई हीरा कोई कंकर। मैं तो इनके सामने कंकर से भी बदतर हूँ। मनुष्य में बुरी के साथ भली वृत्तियाँ भी रहती हैं, जो समय पाकर जाग उठती हैं। जैसे उचित खाद-पानी पाकर बीज पनप जाता है, वैसे ही संत का संग पाकर मनुष्य की सदवृत्तियाँ लहलहा उठती हैं। चोर के मन के सारे कुसंस्कार हवा हो गये। उसे संत के दर्शन, सान्निध्य और अमृतवर्षा दृष्टि का लाभ मिला। उन ब्रह्मनिष्ठ साधुपुरुष के आधे घंटे के समागम से चोर के कितने ही मलिन संस्कार नष्ट हो गये। साधु के सामने अपना अपराध कबूल करने को उसका मन उतावला हो उठा। फिर उसे लगा कि ‘साधु बाबा को पता चलेगा कि मैं चोरी की नियत से आया था तो उनकी नजर में मेरी क्या इज्जत रह जायेगी ! क्या सोचेंगे बाबा कि कैसा पतित प्राणी है, जो मुझ संत के यहाँ चोरी करने आया !’ लेकिन फिर सोचा, ‘साधु मन में चाहे जो समझें, मैं तो इनके सामने अपना अपराध स्वीकार करके प्रायश्चित करूँगा। इतने दयालू महापुरुष हैं, ये मेरा अपराध अवश्य क्षमा कर देंगे।’ संत के सामने प्रायश्चित करने से सारे पाप जलकर राख हो जाते हैं। भोजन पूरा होने के बाद साधु ने कहाः “बेटा ! अब इतनी रात में तुम कहाँ जाओगे, मेरे पास एक चटाई है, इसे ले लो और आराम से यहाँ सो जाओ। सुबह चले जाना।” नेकी की मार से चोर दबा जा रहा था। वह साधु के पैरों पर गिर पड़ा और फूट-फूट कर रोने लगा। साधु समझ न सके कि यह क्या हुआ ! साधु ने उसे प्रेमपूर्वक उठाया, प्रेम से सिर पर हाथ फेरते हुए पूछाः “बेटा ! क्या हुआ ?” रोते-रोते चोर का गला रूँध गया। उसने बड़ी कठिनाई से अपने को सँभालकर कहाः “महाराज ! मैं बड़ा अपराधी हूँ।” साधु बोलेः “बेटा ! भगवान तो सबके अपराध क्षमा करने वाले हैं। उनकी शरण में जाने से वे बड़े-से-बड़े अपराध क्षमा कर देते हैं। तू उन्हीं की शरण में जा। चोरः “महाराज ! मेरे जैसे पापी का उद्धार नहीं हो सकता।” साधुः “अरे पगले ! भगवान ने कहा हैः यदि कोई अतिशय दुराचारी भी अनन्य भाव से मेरा भक्त होकर मुझको भजता है तो वह साधु ही मानने योग्य है।” “नहीं महाराज ! मैंने बड़ी चोरियाँ की हैं। आज भी मैं भूख से व्याकुल होकर आपके यहाँ चोरी करने आया था लेकिन आपके सदव्यवहार ने तो मेरा जीवन ही पलट दिया। आज मैं आपके सामने कसम खाता हूँ कि आगे कभी चोरी नहीं करूँगा, किसी जीव को नहीं सताऊँगा। आप मुझे अपनी शरण में लेकर अपना शिष्य बना लीजिये। साधु के प्यार के जादू ने चोर को साधु बना दिया। उसने अपना पूरा जीवन उन साधु के चरणों में सदा के समर्पित करके अमूल्य मानव जीवन को अमूल्य-से-अमूल्य परमात्मा को पाने के रास्ते लगा दिया। महापुरुषों की सीख है कि “आप सबसे आत्मवत् व्यवहार करें क्योंकि सुखी जीवन के लिए विशुद्ध निःस्वार्थ प्रेम ही असली खुराक है। संसार इसी की भूख से मर रहा है, अतः प्रेम का वितरण करो। अपने हृदय के आत्मिक प्रेम को हृदय में ही मत छिपा रखो। उदारता के साथ उसे बाँटो, जगत का बहुत-सा दुःख दूर हो जायेगा। “जय जय श्री राधे”
Featured Post
फेरूपुर में ग्रामीण कल्याणकारी विकास समिति की ओर से वितरित किए गए कंबल
हरिद्वार /फेरूपुर 26 दिसंबर ग्राम फेरुपुर स्थित डिग्री कॉलेज में ग्रामीण कल्याणकारी विकास समिति की ओर से आयोजित कंबल वितरण कार्यक्रम में मुख...
-
बहुत अच्छी जानकारी है कृपया ध्यान से पढ़ें . 👉ये है देश के दो बड़े महान देशभक्तों की कहानी.... 👉जनता को नहीं पता है कि भगत सिंह के खिल...
-
*लो जी जारी हो गई उत्तराखंड सरकार की guideline ,मुख्य सचिव ने बताया क्या खुलेगा क्या बंद रहेगा* देहरादून- मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने की...
-
#casualLeaveApplication
-
सरस्वती शिशु मंदिर गंगा निलियम में हुआ पुरस्कार वितरण समारोह हरिद्वार 10 मार्च ( आकांक्षा वर्मा संवादाता गोविंद कृपा हरिद्वार ) मायापुर ...
-
यमुना नदी स्वच्छ व निर्मल बनाने की प्रतिबद्धता के संकल्प संग दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (डीईआई) ने मनाई एलुमनी कनेक्ट 2024 ज्योति एस, दय...
-
. सरस्वती शिशु मंदिर मायापुर में हरेला सप्ताह के अंतर्गत आयोजित की गई चित्रकला प्रतियोगिता हरिद्वार 19 जुलाई (आकांक्षा वर्मा संवाददाता गो...
-
गंगा सभा ने की प्रदेश सरकार से हरिद्वार में अस्थि प्रवाह कर्म को करने की अनुमति देने की मांग श्री गंगा सभा अध्यक्ष और महामंत्री ने नगर विका...
-
रुड़की 21 जनवरी( संजय सैनी संवादाता गोविंद कृपा रुड़की )भारतीय राष्ट्रवादी सैनी समाज संगठन हरिद्वार उत्तराखंड के जिला पदाधिकारियों की एक जूम...
-
घीसा संत की वाणी जीता कूं तो गम नहीं, ना कुछ मोल न तोल । शरणै आये दास कूं, सुनो घीसा राम के बोल ॥८२॥ जीता घीसा राम का, ज्यूं मेहन्दी का पात...
No comments:
Post a Comment