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एकात्म मानववाद के संवाहक थे पं. दीनदयाल उपाध्याय : अनिरूद्ध भाटी भाजपा कार्यकर्त्ताओं ने शिवशक्ति धाम में पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयन्ती के अवसर पर किया विचार गोष्ठी का आयोजन हरिद्वार, 25 सितम्बर।(विरेन्द्र शर्मा संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार) पं. दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद के संवाहक थे। वह एक कुशल संगठनकर्ता व प्रबल राष्ट्रवादी चिंतक भी थे जिन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर समाजसेवा की दिशा में अविस्मरणीय योगदान दिया। यह विचार भाजपा पार्षद दल के उपनेता अनिरूद्ध भाटी ने शिवशक्ति धाम में पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी में व्यक्त किये। अनिरूद्ध भाटी ने कहा कि जन संघ की स्थापना में पं. दीनदयाल उपाध्याय का महत्वपूर्ण योगदान रहा। भारतीय जन संघ में उत्तर प्रदेश के महासचिव के रूप में अपना राजनीतिक जीवन प्रारम्भ करने के पश्चात उन्होंने 1967-68 में भारतीय जन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर कार्य करते हुए समूचे देश में संगठन को मजबूत करने का कार्य किया। यही नहीं पत्रकारिता के क्षेत्र में राष्ट्र धर्म, पाञचजन्य और स्वदेश जैसी पत्र, पत्रिकाओं का सम्पादन करते हुए युवा पीढ़ी को राष्ट्रवाद के पथ पर अग्रसर किया। उन्होंने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति में सादगी, शुचिता व सद्भाव के स्वर्णिम हस्ताक्षर थे। भाजयुमो के जिला उपाध्यक्ष व पार्षद प्रतिनिधि विदित शर्मा ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय छात्र जीवन से ही अत्यन्त मेधावी थे। उन्होंने समाज के कमजोर वर्ग को संबल प्रदान करने के लिए प्रशासनिक सेवा में चयन होने के उपरांत भी समाजसेवा का कठिन मार्ग चुना। 1937 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक से जुड़ने के उपरान्त समाज के वंचित, कमजोर, पिछड़े वर्ग के उत्थान को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर उन्होंने समूचे देश में भारतीय जन संघ के संगठन का प्रचार-प्रसार करते हुए कांग्रेस की गलत नीतियों का डटकर विरोध किया। जन संघ के अध्यक्ष के रूप में उनके परिश्रम का ही फल है कि आज भारतीय जनता पार्टी विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में स्थापित हो चुकी है। पार्षद विनित जौली व अनिल वशिष्ठ ने संयुक्त रूप से कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय की राजनीति के साथ-साथ साहित्य व पत्रकारिता में भी गहरी रूचि व पकड़ थी। उन्हांेने अपने साहित्य सृजन के माध्यम से राष्ट्र को एकजुटता व कमजोर वर्ग को संबल प्रदान करने का संदेश दिया। शहर व्यापार मण्डल के कोषाध्यक्ष अमित गुप्ता ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय का समूचा जीवन अभाव व कष्टों में बीता। अपने कष्टों की परवाह न कर उन्होंने कभी राजनीतिक जीवन में विचारधारा के साथ कोई समझौता नहीं किया। उन्हांेने कहा कि देश की राजनीति से यदि भ्रष्टाचार समाप्त करना है तो पं. दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा ही उसका सर्वोच्च उपाय है। इस अवसर पर पं. दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर पुष्पाजंलि अर्पित करने के साथ-साथ मिष्ठान वितरण कर विचार गोष्ठी का समापन किया गया। इस अवसर पर विचार गोष्ठी में मुख्य रूप से सूर्यकान्त शर्मा, विकल राठी, रितेश वशिष्ठ, दिनेश शर्मा, रूपेश शर्मा, सोनू पंडित, अमरपाल प्रजापति, अंकुश भाटिया, रामवतार शर्मा, सीताराम बडोनी, दिव्यम यादव, रवि चौहान, अर्चित चौहान, हिमांशु शर्मा, संदीप गोस्वामी, अनुपम त्यागी, नरेश पाल, सतपाल सिंह, प्रकाश वीर, सुनील सैनी, सन्नी गिरि, आदित्य शर्मा, अविनाश सिंह समेत अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।
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