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हिंदी हमारी मातृभाषा ही नहीं अपितु हमारी पहचान भी है : प्रोफेसर अनीता तोमर हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में समसामयिक सदर्भ में आधुनिक हिंदी मीडिया (प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया) विषय पर ऑनलाइन व्याख्यानमाला आयोजित हरिद्वार, 14 सितम्बर। (दीपक पंत संवाददाता गोविंद कृपा ऋषिकेश) राजकीय महाविद्यालय थत्यूड, टिहरी गढ़वाल में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में समसामयिक संदर्भ मे आधुनिक हिंदी मीडिया (प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया) विषय पर ऑनलाइन व्याख्यानमाला का आयोजन गणित विभाग एवं हिन्दी विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत ऑनलाइन व्याख्यानमाला की आयोजिका व गणित विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनीता तोमर ने की। इस अवसर पर प्रोफेसर अनीता तोमर ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण बदली परिस्थितियों के बावजूद हिंदी दिवस के आयोजन को लेकर उत्साह और उमंग में कोई कमी नहीं है। इसका पता इस बात से चलता है कि आज की ऑनलाइन व्याख्यानमाला में लगभग 200 प्रतिभागियों ने पंजीकरण करवाया है। कहा जाता है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान शिक्षा में व्यापक सुधार देखने को मिले हैं। कोविड-19 वैश्विक महामारी ने ऑनलाइन काम करना सिखाया है इसके साथ ही ऑनलाइन प्लेटफार्म विचारो को साझा करने का एक बहुत ही प्रभावशाली, सरल व सस्ता माध्यम है। इस तरह की कांफ्रेंस ऑनलाइन व्याख्यानमाला, राजकीय महाविद्यालय थत्यूड़ टिहरी गढ़वाल में पहली बार आयोजित की जा रही है। निश्चित ही इसके परिणाम दूरगामी होंगे। प्रोफेसर अनीता तोमर ने सबको हिंदी दिवस की शुभकमायें देते हुए कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा ही नहीं अपितु हमारी पहचान भी है। भले ही आज हर तरफ अंग्रेजी भाषा का बोलबाला है, लेकिन हिंदी भाषा का अपना एक अलग ही महत्व है, क्योंकि अपनी भावनाएं अगर किसी भाषा में सहजता से व्यक्त की जा सकती है वो हिंदी है। प्रो. तोमर ने हिन्दी के संदर्भ में विभिन्न सॉफ्टवेयर पर विस्तृत प्रकाश डाला। हिन्दी के विकास पर मीडिया की क्या भूमिका है इस पर उन्होंने बड़ा ही सारगर्भित वक्तव्य प्रस्तुत किया। आमंत्रित वक्ताओं का परिचय प्रस्तुत किया। इस व्याख्यानमाला के मुख्य अतिथि प्रोफेसर एन.पी. माहेश्वरी पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा द्वारा कार्यक्रम की विधिवत उद्घाटन किया एवं तकनीकी सत्र अध्यक्षता की। मुख्य अतिथि एन.पी. माहेश्वरी ने हिन्दी की उत्तरोत्तर प्रगति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने हिन्दी के विकास में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रेखांकित की। सिनेमा में हिंदी के विकास में विश्लेषण करते हुए उन्होंने हिन्दी भाषा में निरन्तर हो रहे लाक्षणिक प्रयोगों के उदाहरण भी प्रस्तुत किये। राजेश जोशी ने हिंदी पत्रकारिता तथा राष्ट्रवाद शीर्षक पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने पत्रकारित के प्रादुर्भाव पर प्रकाश डालते हुए समाचार पत्रों के विकास के विषय में जानकारी दी। पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य प्रतिष्ठान विरोधी है। किंतु वर्तमन परिप्रेक्ष्य में पत्रकारिता स्वतंत्र विचारधारा को षोषित न करते हुए एक प्रकार से अघोरपंथ है। राष्ट्रवाद के विषय में श्री जोशी ने कहा कि अंग्रेजों के शासनकाल वाला राष्ट्रवाद अब भूराजनीतिक राष्ट्रवाद बन गया है। उन्होंने इस तथ्य पर भी ध्यान आकृष्ट किया कि हिंदी पत्रकारिता के समक्ष अब अनेकों चुनौतिया हैं तथा सत्य व तथ्यों को परोसा जाना ही पत्रकारिता का उद्ेदश्य होना चाहिए। प्रो. गोपाल प्रधान ने अपने व्याख्यान के प्रारम्भ में कहा कि हिंदी दिवस तिथि पाखंड की तिथि है क्योंकि हिंदी, हिंदी भाषी प्रदेशों में ही बहिष्कृत है। उन्होंने ने नई शिक्षा नीति में संस्कृत की अनिवार्यता के संबंध में कहा कि संस्कृत से हिंदी का प्रादुर्भाव नहीं हुआ है क्योंकि हिंदी के अनेकों शब्दों की व्युत्पत्ति संस्कृत से संभव नहीं है। प्रो. प्रधान ने कहा कि हिंदी का संबंध लौकिक संस्कृत से न होकर छान्दस्य संस्कृत से तथा लोकभाषाओं से पोषित होने पर ही हिंदी की गरिमा रह सकती है। उन्होंने हिंदी तथा उर्दू भाषा को संबंध पर भी प्रकाश डाला और कहा कि लोक भाषाओं में हिंदी का समावेश नितांत आवश्यक है। भाषा का जीवन तभी है जब वह ज्ञान की भाषा हो। गांधी जी के कथन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि पूंजी मीडिया को परतंत्र बनाती है। सरकार की हिंदी के प्रति जो अनदेखी है उस पर भी उन्होंने प्रकाश डाला। प्रतिरोध की कविता को उन्होंने हिंदी के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू बताया। प्रो. रवीन्द्र कुमार ने बताया कि प्रबुद्ध मीडिया ही प्रबुद्ध जनमत तैयार करता है तथा इसकी अनुपस्थिति में जनतंत्र की कल्पना नितांत अकल्पनीय है। संविधान के अनुच्छेद 19ए का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया का दायित्व तथ्य तथा सत्य को जनता तक पहुंचाना है परंतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मीडिया अपने उद्देश्य से थोड़ी अलग-थलग होकर समकालीन मुद्दों पर इंगित नहीं करता हालांकि कोरोना काल में मीडिया ने अपना जन जागृति का दायित्व निभाया है किंतु फिर भी मीडिया की जिम्मेदारी तुष्टिकरण न होकर संतुलित होनी चाहिए तथा हिन्दू-मुस्लिम से आगे बढ़कर एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण आवश्यक है। प्रो. आंनद प्रधान ने कहा कि मीडिया पर बात करना आवश्यक है क्योंकि हम एक मीडिया सोसाइटी में रहते है और मीडिया ही डेमोक्रेसी का जनमत बनाती है। किंतु वर्तमान में मीडिया आम चर्चा के विषयों पर विमर्श न करने के कारण अपने उद्देश्यों का पूर्ण निर्वहन नहीं कर रही। उन्हांेने कहा कि मीडिया को उपेक्षित मुद्दों को प्रकाश में लाना चाहिए तथा मीडिया साक्षरता व आलोचनात्मक सत्य को उन्होंने अति आवश्यक बताया। अनिल कार्की ने ग्रामीण परिवेश में मीडिया के महत्व पर विस्तृत चर्चा करने के साथ ही सोशल मीडिया समूहों द्वारा लोगांे में समाचारों को मूल्यांकित करने की समझ पर भी अपनी राय व्यक्त की। इन सभी वक्ताओं के उपरान्त डॉ. तनु आर. बाली असिंस्टेंट प्रो. अंग्रेजी ने सभी वक्ताओं के अभिभाषणों का बेहतरीन सार प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रत्येक वक्ता की महत्वपूर्ण बातों को बड़ी ही खूबसरती से रेखांकित करते हुए समस्त कार्यक्रम की विहंगम रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय की प्राचार्य ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।
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