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सनातन संस्कृति के सच्चे संवाहक थे स्वामी शांतानन्द शास्त्री : हरिचेतनानन्द महाराज स्वामी योगेन्द्रानन्द शास्त्री के संयोजन में श्री जगदीश आश्रम में आयोजित हुआ चतुर्थ पुण्यतिथि समारोह हरिद्वार, 28 सितम्बर।(विरेन्द्र शर्मा संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार) उत्तरी हरिद्वार की प्रख्यात धार्मिक संस्था श्री जगदीश आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी शांतानंद शास्त्री महाराज की चतुर्थ पुण्यतिथि कोरोना महामारी के चलते अत्यन्त सूक्ष्म व गरिमामयी रूप से सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए स्वामी योगेन्द्रानन्द शास्त्री के संयोजन में आयोजित की गयी। श्रद्धाजंलि समारोह को संबोधित करते हुए म.मं. स्वामी हरिचेतनान्द जी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी शांतानन्द शास्त्री जी महाराज सनातन संस्कृति के सच्चे संवाहक थे। उन्हांेने सदैव धर्म प्रचार व लोक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने षड्दर्शन साधु समाज व गरीब दासीय महापरिषद की स्थापना कर संत समाज की मजबूती के लिए अद्भुत व अकल्पनीय कार्य किया। श्री जगदीश आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी योगेन्द्रानन्द शास्त्री ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी शांतानंद शास्त्री महाराज एक महान आत्मा थे। जिन्होंने अपने ज्ञान व तप के माध्यम से सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का परचम पूरे भारत में फहराकर सदैव समाज को एक नई दिशा प्रदान की। पूज्य गुरूदेव के पदचिन्हों पर चलकर संस्था सदैव लोक कल्याण व भारतीय संस्कृति की रक्षा को समर्पित रहेगी। स्वामी रविदेव शास्त्री व स्वामी केशवानन्द जी महाराज ने कहा कि महापुरूषों की जीवनशैली व उपदेश सदैव प्रेरणादायी होते हैं। ब्रह्मलीन स्वामी शांतानंद शास्त्री महाराज ने सदैव अपने जीवनकाल में गरीब असहाय लोगों की मदद कर राष्ट्र कल्याण में अपना अहम योगदन प्रदान किया। भाजपा पार्षद दल के उपनेता अनिरूद्ध भाटी ने कहा कि संतो के दर्शन मात्र से पापों से निवृति व पुण्य की प्राप्ति होती है। संतों का जीवन सदैव परोपकार को समर्पित रहता है। उन्होंने कहा कि योग्य गुरू को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। स्वामी योगेन्द्रानन्द शास्त्री महाराज ने अपने गुरू के बताए मार्ग का अनुसरण कर संत समाज की सेवा करते हुए उनके अधूरे कार्यों को पूर्ण कर रहे हैं। इससे युवा संतों को प्रेरणा लेनी चाहिए। इस अवसर पर उपस्थित संतगण व भक्तों ने ब्रह्मलीन स्वामी शांतानन्द शास्त्री को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।
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