श्रीमद्भागवत के मध्य हुआ श्रीकृष्ण जन्म, गूंजी बधाइयां -श्राद्ध पक्ष में चल रही श्रीमद्भागवत का चतुर्थ दिवस हरिद्वार। 13 सितम्बर (विरेन्द्र शर्मा संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार) उत्तरी हरिद्वार के रामगढ मोहल्ले स्थित श्रीगरीबदास परमानन्द आश्र में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन रविवार को कथाव्यास महंत केशवानंद महाराज ने श्रीकृष्ण जन्म की लीला का मनोहारी वर्णन किया। श्रीकृष्ण का जन्म होते ही खुशियां ही खुशियां बिखर गई। श्रद्धालुओं ने बधाई गीत गाये। रविवार को श्रीमद्भागवत में मुख्य यजमान सन्दीप गिरि, सपत्नी लक्ष्मी देवी व संजीव अग्रवाल, सपत्नी पूनम अग्रवाल ने व्यासपीठ की पूजा अर्चना की। इसके बाद कथाव्यास महंत केशवानंद महाराज ने कहा कि राजा परीक्षित से शुकदेव कहते हैं, कि संसार का कल्याण करने के लिए भगवान अवतार लेते कि जब-जब धर्म की हानि होती है। तब सज्जनों का कल्याण और राक्षसों का वध करने के लिए भगवान अवतार लेते हैं। इसके बाद कथाव्यास ने संगीतमयी चौपाइयों-जब-जब होई धर्म की हानि, बाढहि असुर अधम अभिमानी, तब-तब धरि प्रभु मनुज शरीरा, हरहि कृपा निज सज्जन पीरा आदि चौपाइयों से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कथावाचक ने प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने जेल में वासुदेव के यहां अवतार लेकर संतो व भक्तों का सम्मान बढ़ाया। उन्होंने अपने अंदर बुराई विद्यामान न रहे इसके लिए संतों का सत्संग का मार्ग बताया। भगवान श्रीराम की मर्यादा और श्रीकृष्ण को तब समझोगे जब राम मय बनो। जब भक्ति मार्ग में भक्त लीन रहता है तब प्रभु दर्शन होते हैं। अंत में कथा व्यास ने श्रीकृष्ण जन्म लीलाओं का वर्णन किया। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के तमाम मार्मिक प्रसंग सुनाए। जिससे स्त्रोता भावविभोर हो गए।


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