!!खेत-खलिहान से जंग के मैदान तक आत्मनिर्भर भारत एक ही विकल्प!! पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के‘एकात्म मानववाद’दर्शन में वर्णित सशक्त,स्वाभिमानी,आत्मनिर्भर भारत जैसे छःलक्ष्यों की हो रही है संकल्प पूर्ति!..... एकात्म मानववाद दर्शन के प्रणेता दीनदयाल उपाध्याय जी मनुष्य के बारे में कहां कहते थे कि मनुष्य का शरीर तन, मन,बुद्धि और आत्मा, इन चार चीजों से मिलकर बना है।प्रत्येक राजनीतिक पार्टी भी व्यक्ति,परिवार,समाज और राष्ट्र का समग्र विकास करना चाहती है, उन्हें इन चारों के चिंतन के साथ मनुष्य के तन, मन, बुद्धि और आत्मा की भी आवश्यकताएं पूरी होने के बारे में सोचना होगा। पिछले 2014 से मोदी जी द्वारा सबका साथ,सबका विकास का उदघोष का आधार भी पण्डित दीनदयाल जी का ‘एकात्म मानववाद’ ही था। दीनदयाल जी ने जो छह लक्ष्य दिए थे, वे सशक्त और स्वाभिमानी भारत के निर्माण के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की पूर्ति के लिए भी जरूरी हैं। उनका कहना था कि लंबे प्रयासों के बाद मिली राजनीतिक स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने की व्यवस्था हमें करनी चाहिए। श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए पिछले 1975 से 1977 तक के आपातकाल के कालखंड यदि छोड़ दिया जाए तो भारत की राजनीतिक स्वतंत्रता को कभी आंच नही पहुंची। पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी ने कहते थे कि ऐसा आर्थिक नियोजन न हो जिससे भारत की जनतंत्रीय प्रणाली संकट में पड़े।दीनदयाल जी के आर्थिक मॉडल के केंद्र में मानव कल्याण और विशेष रूप से समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का कल्याण था। अगर स्वतंत्र भारत के बाद तत्तकालीन सरकारों द्वारा इस दिशा में ईमानदारी से प्रयास नहीं किए गए। आजादी के बाद इसकी शुरुआत अटल जी के प्रधानमंत्रित्व काल में हुई। जिसमें अंत्योदय योजना के अंतर्गत सस्ती दरों पर अनाज उपलब्ध कराया गया। सामान्य भारतीय को भी सुखद जिंदगी जीने का मौका मिले इसके मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने जनधन, उज्ज्वला जैसी अनेक योजनाएं शुरू की हैं।स्वास्थ्य रक्षा के लिए आयुष्मान भारत योजना के तहत देश के दस करोड़ गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये सालाना की मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई है। हर खेत को पानी, हर हाथ को काम। पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी का स्मरण करते समय लोग सबसे पहले जिस कहावत इस कहावत को याद करते हैं। इस बात को निहित स्वार्थों के चलते इस देश के किसानों को कभी वह सुविधा दी ही नहीं गई कि वह अपनी मेहनत का पूरा फल प्राप्त कर सके। किसान हित में बनाये गये कानून किसानों को उनकी उपज के बेहतर दाम देने में सहायक होगा। इन तीनों कृषि कानूनों के लागू हो जाने के बाद देश का हर किसान पूरे देश में कहीं भी, जहां उसे बेहतर कीमत मिले,अपनी फसल बेचने के लिए आजाद है। इस ऐतिहासिक कृषि सुधार से उन लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई है, जो किसानों के नाम पर अपने निहित स्वार्थ साधते थे। इसलिए जानबूझकर एक गलतफहमी पैदा की जा रही है कि भारत सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की व्यवस्था खत्म करना चाहती है, जबकि सच्चाई इसके ठीक उलट है। इसे खत्म करने का इरादा न कभी था, न है और न आगे कभी होगा। यहां तक कि मंडी व्यवस्था भी कायम रहने वाली है। किसानों के हित और कल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता तो दीनदयाल जी के जमाने से ही है। दीनदयाल जी का तीसरा विचार था कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों की हमें रक्षा करनी चाहिए। जिस तरह के उदात्त सांस्कृतिक मूल्य हमारे देश में सदियों से रहे हैं, वे किसी और देश में नही मिलते हैं। वसुधैव कुटुंबकम का संदेश भी सारे विश्व को अगर कहीं से गया तो हमारे भारत से गया। दीनदयाल जी ने जो चौथा राष्ट्रीय लक्ष्य दिया था,वह था कि भारत को सैनिक दृष्टि से आत्मरक्षा में समर्थ होना चाहिए। सामरिक नीति और र्आिथक नीति का सामंजस्य ही आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की पूर्ति कर सकता है। दीनदयाल जी के अनुसार पांचवां लक्ष्य है आर्थिक स्वावलंबन का,जिसके भीतर से आत्मनिर्भर भारत की प्रतिध्वनि निकलती है। हमारे प्रधानमंत्री ने 2014 में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वह भारत में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने का संकल्प ले चुके हैं। मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत देश में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने वाले कई निर्णय लिए गए। इसके बावजूद मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की भारत की जीडीपी में हिस्सेदारी 15 फीसद से ऊपर नहीं बढ़ सकी। अब जब बदली हुई परिस्थितियों में आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लिया गया है तो सभी चुनौतियों की पड़ताल की जा रही है। दीनदयाल जी ने देश के श्रमिकों के कल्याण के लिए जो सोचा था, उसे आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा किया जा रहा है। खेत-खलिहान से लेकर जंग के मैदान तक भारत अपनी जरूरतों को पूरा करने की क्षमता हासिल करने में आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के तौर पर एकमात्र विकल्प रुप खड़ा है। शिक्षाविद श्री कमल किशोर डुकलान जी कलम से साभार रुड़की (हरिद्वार)


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