स्टालिन की देन हैं आर्मेनिया और अजरबैजान का युद्ध (डा0 एस के कुलश्रेष्ठ) अजरबैजान और आर्मेनिया दो पड़ोसी देश है जिसमें अज़रबैजान शांतिदूतों का देश है और आर्मेनिया काफिरों का, और यही कारण है कि अजरबैजान के शांतिदूत आर्मेनिया के काफिरों से नफरत करते हैं और उनकी भूमि उनकी संपत्ति और उनकी महिलाओं पर कब्जा करने का स्वप्न पाले बैठे हैं, अब इस्लामिक वर्ल्ड के स्वघोषित खलीफा टर्की के राष्ट्रपति तैयब एर्दोगान ने अजरबैजान को चढ़ाकर और सहायता का आश्वासन देकर उसे आर्मेनिया के विरुद्ध खड़ा कर दिया और उन्हें सैन्य सहायता उपलब्ध करवानी शुरू कर दी, जिसके पास अजरबैजान ने आर्मेनिया के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया, और अब इस युद्ध मे अजरबैजान की फोर्सेज के साथ टर्की के सैनिक हथियार और उपकरण भी सम्मिलित हैं, आर्मेनिया ने इसके बाद अपने देश में मार्शल लॉ घोषित किया सेना मोबिलाइज करी और अपने नागरिकों को युद्ध के लिए तैयार रहना का निर्देश दिया, अब आपको एक रोचक बात बताता हूं आर्मेनिया ने भारत से 6 स्वाति वेपन लोकेटिंग राडार का आर्डर प्लेस किया था जिसमें से अब तक भारत ने दो स्वाति वेपन लोकेटिंग राडार आर्मेनिया को डिलीवर कर दिए हैं, अब आपको पहले दिन के युद्ध के हालात से परिचित करवाता हूं जिसे ध्यान से पढ़िएगा, आज युद्ध के पहले दिन के अंदर ही आर्मेनिया ने उसी भारतीय स्वाति वेपन लोकेटिंग राडार का इस्तेमाल करते हुए अजरबैजान की फोर्सेज के 4 हेलीकॉप्टर, 15 ड्रोन, 10 टैंक और 65 सैनिक निपटा दिये हैं।


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