विजय दिवस



💐 *वर्ष 1971 के युद्ध में शहीद हुये सैनिकों की शहादत को नमन*


🌈 *1971 की ऐतिहासिक व अविस्मर्णीय जीत का प्रतीक विजय दिवस*


💥 *अद्भुत निष्ठा और अद्म्य साहस का प्रतीक है भारतीय सेना- स्वामी चिदानन्द सरस्वती  जी महाराज*


*ऋषिकेेश, 16 दिसम्बर।* (दीपक पंत संवाददाता गोविंद कृपा ऋषिकेश) विजय दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने वर्ष 1971 के युद्ध में शहीद हुये सैनिकों की शहादत को नमन करते हुये कहा कि सैनिक किसी संत से कम नहीं होते। सैनिक, हमारे राष्ट्र की सीमाओं को सुरक्षित रखते है और संत राष्ट्र की संस्कृति को।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि वर्ष 1971 की जीत एक ऐतिहासिक जीत थी। इस ऐतिहासिक जीत, जश्न और गौरव को प्राप्त करने के लिये हमारे देश के हजारों सैनिक शहीद को गये। आज हम गौरव और जश्न के साथ जो विजय दिवस मना रहें हैं उसके लिये हमारे 3,900 जांबाज़ सैनिक शहीद हुये थे, उन्होंने अपने फौलादी सीने पर दुश्मन के वार को सहन कर अपने मातृभूमि के गौरव और अस्मिता की रक्षा की, आईये आज उन शहीदों की शहादत को नमन करते हुये संकल्प लेते है कि भारत के गौरव, गरिमा और प्रतिष्ठा को बनाये रखने हेतु अपना योगदान देंगे।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि सैनिक है तो हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं ; सैनिक हैं तो हम हैं, हमारा अस्तित्व है उनकी वजह से आज हम जिंदा है और हमारा देश भी सुरक्षित है। सैनिक अपनी जान को हथेली पर रखकर अपने देश की रक्षा करते हैं । जब भी दुश्मनों ने भारत की ओर आंख उठाकर देखा तब-तब हमारे वीर जवानों ने देश की अस्मिता की रक्षा के लिये अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। भारत की महान, विशाल और गौरवशाली विरासत की रक्षा के लिये अनेकों सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दि। हमें इस देश की विशालता और गौरवशाली इतिहास जो विरासत में मिला हुआ है उसके लिये अनेकों वीरों और शहीदों को कुर्बानी देनी पड़ी। आईये हम सब मिलकर इस राष्ट्र के गौरव को बनाये रखने में सहयोग प्रदान करें और जिन जवानों की वजह से हमारा तिरंगा लहरा रहा है उनके परिवार के साथ खड़े रहें।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भारत माता और भारतीयों की सुरक्षा के लिये चैबीस घन्टे तैयार रहने वाले हमारे सैनिकों कर्मनिष्ठा और देशभक्ति को नमन करते हुये कहा कि अद्भुत निष्ठा और अद्म्य साहस का प्रतीक है भारतीय सेना। हमारे वीरों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिये जो पराक्रम और साहस दिखाया है वह केवल इतिहास के पन्नों में ही नहीं बल्कि हर दिल में समाहित है। हमारे गौरवशाली इतिहास में ऐसे अनेक अध्याय हैं जो आज भी हमें उत्साह और उमंग से भर देेते है।

स्वामी जी ने देश के युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि अपने इतिहास, भारतीय संस्कृति, हमारी गौरवशाली परम्पराओं और अपनी जड़ों से जुड़े रहें, भारतीय मूल्यों को अपनायें। भारत की गौरवशाली संस्कृति को जानें और उसे आत्मसात करें।


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