राम राम जी

 *एक बार किसी ने कबीर जी से पूछा*


*"किसको भज रहे हो जी?"*


*कबीर जी ने कहा" राम जी को"*


*फिर उसने पूछा "कौन से राम जी को?"*


*उसने कहा "मैंने सुना है राम तो कई हैं।*


*एक राम अवधेश कुमारा,*

*एक राम दसरथ कर बेटा,*

*एक राम घट घट में लेटा,*

*एक राम है जगत पसारा*

*और एक राम है सभी से न्यारा।"*


*तो कबीर साहिब को हंसी आ गई और कबीर साहिब थोड़ा टेढ़ा बोल देते थे, दिल पर चुभ जाये ऐसी बात।*


*तो उन्होंने कहा:--*


*"तुम्हारी दृष्टि में राम चार है तो मेरी दृष्टि में तुम्हारे बाप भी चार है।"*


*व्यक्ति को गुस्सा आया और बोला की महाराज ऐसे कैसे बोल रहे हो।*


*तो कबीर जी बोले की भाई क्रोद्ध मत करो । मैं तुम्हे चारों गिना देता हूँ :--*


*एक बाप तेरे चाचा को भाई,*

*एक बाप तेरे दादा को जायो*

*एक बाप तेरे नाना को जवाई*

*एक बाप तेरे फूफा को सालो।*

*तो उस आदमी ने कहा:--* *"महाराज ये तो चारो एक ही है"।*


*तब कबीर साहिब बोले जैसे ये चारों एक है, वैसे ही मेरो राम भी एक ही है:--*


*सोई राम अवधेश का राजा*

*सोई राम दसरथ कर बेटा*

*सोई राम घट घट में लेटा*

*सोई राम है जगत पसारा*

*सोई राम है सभी से न्यारा।*


*अतः राम तो एक ही है।*


*बोलो... राम राम राम राम*

*श्री राम जय राम जय जय राम*

*श्री राम जय राम जय जय राम*


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