दर्द गढवाली की गजल

 ग़ज़ल 


फिर मेरी बात चल रही होगी।

फिर वो बातें बदल रही होगी।।


फिर मेरा खत उसे मिला होगा।

फिर सेहन में टहल रही होगी।।


फिर कहीं सुब्ह हो रही होगी।

फिर कहीं शाम ढल रही होगी।।


आंख में अश्क आ रहे होंगे।

जब वो कपड़े बदल रही होगी।।


नाम लेकर मेरा बुझी होगी।

नाम लेकर वो जल रही होगी।।


दर्द गढ़वाली, देहरादून 

09455485094


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