रक्तदान करने से होती है मनुष्य के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत: मदन कौशिक
एम्स, ऋषिकेश व माँ गंगे ब्लड सैंटर, हरिद्वार द्वारा किया गया स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में योगदान डाॅ. ए.एस. उनियाल, नोडल अधिकारी, उत्तराखण्ड ने छात्र-छात्राओं को रक्तदान के प्रति किया जागरूक
हरिद्वार 19जनवरी (आकांक्षा वर्मा संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार)
.एस.एम.जे.एन.पी.जी. काॅलेज में आज युवा चेतना पखवाड़े के अन्तर्गत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश व माँ गंगे ब्लड सैंटर, हरिद्वार द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का शुभारम्भ काॅलेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्रीमहन्त लखन गिरि जी महाराज की अध्यक्षता में माननीय मदन कौशिक, कैबिनेट मंत्री द्वारा किया गया।
कैबिनेट मंत्री माननीय मदन कौशिक ने स्वैच्छिक रक्तदान का शुभारम्भ करते हुए रक्तदान हेतु छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने के लिए व्याख्यान एवं अपने अनुभव बताये गये। श्री कौशिक ने कहा कि रक्तदान महादान है जो एक मनुष्य की जान को बचाता है। रक्तदान करने से मनुष्य के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है एवं जो लोग रक्तदान के प्रति अनेकों भ्रान्तियाँ फैलाते हैं, उनसे सचेत रहें। उन्होंने कहा कि रक्त दान मानवता की बहुत बड़ी सेवा है।
रक्तदान के नोडल अधिकारी, उत्तराखण्ड डाॅ. ए.एस. उनियाल ने छात्र-छात्राओं से रक्तदान करने का आह्वान करते हुए कहा कि प्रत्येक स्वस्थ मनुष्य अपना रक्तदान कर सकता है। उन्होंने बताया कि रक्तदान प्राणदाता है, धीरे-धीरे लोग इसका महत्व समझने लगे हैं तथा रक्तदान के प्रति जागरूकता का माहौल भी देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि मैंने स्वयं लगभग 112 बार रक्तदान किया है तथा लगभग आठ लाख रक्तदाताओं को रक्तदान करने हेतु प्रेरित कर रक्तदान करवाया हैै। डाॅ. उनियाल ने उपस्थित सभी रक्त दाताओं से अपील करते हुए कहा कि आप किसी विशेष अवसर जैसे माता-पिता का जन्मदिवस, अथवा उनकी विवाह की वर्षगांठ या अपने जन्मदिवस के शुभ अवसर भी रक्तदान जैसा महान कार्य कर सकते हैं।
काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने सभी अतिथियों एव रक्तदान दाताओं का धन्यवाद प्रेषित करते हुए कहा कि आपकी रक्त की बूंद का प्रत्येक कतरा किसी के जीवन का स्त्रोत बन सकता है। रक्त दान जीवन प्रदान करने वाली गतिविधि है। यही कारण है कि इसे महादान कहा जाता है। डाॅ. बत्रा ने कहा कि ‘दीजिए मौका अपने खून को किसी की रगों में बहने का, यही लाजबाव तरीका है कई जिस्मों में जिंदा रहने का।’
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश की चिकित्सा अधिकारी डाॅ. कौर ने सभी रक्त दाताओं को जानकारी देते हुए बताया कि रक्तदान से हार्ट अटैक की सम्भावनायें कम होती हैं। इससे वजन कम करने में भी सहायता मिलती है तथा रक्तदान से शरीर में नयी उर्जा का संचार होता है, साथ ही रक्तदान के बाद शरीर में तेजी से नया रक्त बनना प्रारम्भ हो जाता है।
इस अवसर पर डाॅ. सुषमा नयाल, प्रभारी, रक्तदान शिविर ने सभी रक्तदाताओं का धन्यवाद प्रेषित करते हुए बताया कि महाविद्यालय की छात्रा कु. पूनम व उनके पिता लाल बहादुर शास्त्री दोनों ने रक्तदान किया। डाॅ. नयाल ने बताया कि रक्तदान शिविर में छात्र-छात्राओं, उनके अभिभावकों, शिक्षकों व कर्मचारियों द्वारा बढ़-चढ़कर रक्त दान किया गया। उन्होंने बताया कि शिविर में लगभग 143 रक्त दाताओं ने अपना पंजीयन करवाया। स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में काॅलेज डाॅ. मन मोहन गुप्ता, डाॅ. जे.सी आर्य, राजकुमार, डाॅ. सरोज शर्मा, डाॅ. आशा शर्मा, डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, डाॅ. शिव कुमार चैहान, डाॅ. मनोज कुमार सोही, विवेक मित्तल, वैभव बत्रा, आलोक शर्मा, पंकज यादव, दिव्यांश शर्मा, डाॅ. विशाल गर्ग, पार्षद कन्हैया खेवड़िया, काॅलेज के पूर्व छात्र अमन शर्मा, सोपिन चौधरी, मेहताब आलम, मधुर अनेजा, अनिल झाम्ब, आशीष तिवारी, नवजोत वालिया, ओमप्रकाश चौधरी, करन वर्मा, वृशान्त कश्यप, प्रभाकर कश्यप, आयुष पाराशर, पार्थ कुमार, आदर्श कश्यप, करण शर्मा, सत्यम, भोला शर्मा, आशीष झा तथा वर्तमान छात्र शोएब अली, रेशू, मयंक सिंह, मुस्कान यादव, पार्थ कुमार, गौरव सिंह, अनुज, प्रवीण, दीपांशु, विपुल, अरूणा, मनीषा, राखी, पंकज, सानू, श्रेया जैन, आकाश शर्मा आदि ने अपना रक्तदान किया।
अंत में रक्तदान शिविर को सफल बनाने में लगी काॅलेज की समस्त समितियों, सभी रक्तदाता और एम्स, ऋषिकेश की टीम के विक्रम गुलाटी, अनिल अरोड़ा, विशाल अनेजा तथा माँ गंगे ब्लड सैंटर, हरिद्वार की टीम के एन.एस. नेगी, संदीप चौधरी, शमशेर सिंह, आरती, संगीता, सपना, चौ. रतन सिंह सहित समस्त् अधिकारियों व कर्मचारियों को काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा व रक्तदान प्रभारी डाॅ. सुषमा नयाल प्रोग्राम आफीसर राष्ट्रीय सेवा योजना ने धन्यवाद प्रेषित किया। इस अवसर पर महन्त श्री केशवपुरी महाराज, महन्त श्री मनीष भारती , महंत श्री नरेश गिरी, महन्त रवि पुरी, दिगम्बर श्री रघुबन, डाॅ. सरस्वती पाठक, डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी, विनय थपलियाल, मोहन चन्द्र पाण्डेय आदि उपस्थित थे।
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