परमार्थ निकेतन में स्वामी असंगानंद जी महाराज ने किया ध्वजारोहण



*ऋषिकेश, 26 जनवरी  ( अमरेश दुबे संवाददाता गोविंद कृपा ऋषिकेश) 



 72 वें गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन में पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी ने हमारे राष्ट्र की पहचान और गौरव का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज फहराकर व राष्ट्रगान गाकर देश के स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों और वीर शहीदों को श्रद्धाजंलि अर्पित की। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों के बैंड ने एक मार्शल धुन ‘सारे जहां से अच्छा’ बजा कर मार्च-पास्ट कर तिरंगे को सलामी दी। 

पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी ने आज के इस पावन अवसर पर संदेश दिया कि ’वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः’ -हम सभी राष्ट्र को जीवंत एवं जाग्रत बनाए रखेंगे। पुरोहित का अर्थ होता है जो इस राष्ट्र का; पुर का हित करता है। जो राष्ट्रीय-गौरव, राष्ट्रीय-मर्यादा, राष्ट्रीय-समृद्धि की वृद्धि, उत्कर्ष एवं हित समझकर उसकी प्राप्ति के लिये प्रयत्न करते है। इस राष्ट्र में जागृति लाने तथा इस राष्ट्र की रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि भारत बनो अर्थात उजाले की ओर बढ़ो; स्वंय प्रकाश बनों और दूसरों को भी प्रकाशित करो।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने शहीद जवानों को श्रद्धासुमन अर्पित कर, देशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुये कहा कि 72 वर्ष पूर्व आज की यह नई सुबह एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य का उजाला लेकर हम सभी के जीवन में आयी थी। आज का यह उत्सव हम सभी भारतीयों के लिये स्वतंत्रता, प्रभुत्व, बंधुत्व और समानता का उत्सव है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम सभी को विविधता में एकता के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहना होगा तथा लैंगिक भेदभाव, अवसरों की असमानता, हिंसा, कुपोषण आदि से ऊपर उठकर एक समृद्ध भारत के निर्माण हेतु प्रतिबद्ध होना होगा।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि आज हमारे पास यशस्वी, तपस्वी और ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का नेतृत्व है। उनका मंत्र है  ’सबका साथ सबका विकास’। भारतीय संस्कृति से पूरित-संपूरित इस मंत्र को लेकर वे सम्पूर्ण भारत को एक नये भारत की ओर; आत्मनिर्भर भारत की ओर ले जा रहे हैं। आज पूरा विश्व भारत की ओर एक विश्वास भरी दृष्टि से देख रहा है और उनके सिद्धान्तों का मूल्यांकन कर रहा है तथा भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहा है। श्री मोदी जी जिन ऊचाईयों और सम्मान के हकदार हैं आज विश्व उन्हें उस दृष्टि से देख भी रहा है। हम सब भारतवासियों का यह कर्तव्य है कि उनकी दृष्टि, इरादों और संकल्पों के साथ अपने संकल्पों को मिलायें तथा कंधे से कंधा मिलाकर अपने वतन को चमन बनाये रखने के लिये उसमें अमन लाने के लिये अपने स्वार्थो से उपर उठकर देश को आगे बढ़ाने के लिये संकल्प ले।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि हमारे राष्ट्र की ऐतिहासिक परम्पराओं के अनुसार गणतंत्र दिवस के अवसर पर हमारे श्रेष्ठ आयुध और वेपन्स को प्रदर्शित किया जाता है जो कि हमारे राष्ट्र की शक्ति को दर्शाते है परन्तु हमारी वास्तविक शक्ति हमारे वेपन्स नहीं बल्कि हमारी एकता है। एकता ही हमारा सर्वश्रेष्ठ आयुध है जो हमेशा बनी रहे, इसके लिये हर भारतवासी को अपना उत्कृष्ट योगदान देना होगा।

पूज्य स्वामी जी ने देशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि आज हमारे चारों ओर फिजाओं में जो आजादी की गूंज है उसमें अनेक बलिदानियों का बलिदान, समर्पण और त्याग समाहित है। आजादी के बाद हमारे पूर्वजों ने शून्य से विकास की शुरूआत की थी। विकसित भारत की जो धरोहर हमें मिली है उसे सहेज कर रखना तथा वर्तमान में लैंगिक हिंसा, अवसरों की असमानता जैसी समस्यायें हमारे सामने है उन्हें शून्य करना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है।

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