स्वामी रामानंद बने स्वामी सच्चिदानंद के उत्तराधिकारी


 सुयोग्य शिष्य करता है अपने गुरूजनों की यश कीर्ति में वृद्धि : स्वामी हरिचेतनानन्द

उत्तरी हरिद्वार की प्रख्यात धार्मिक संस्था श्री विशुद्धानन्द आश्रम में परमाध्यक्ष स्वामी सच्चिदानन्द महाराज के सुयोग्य शिष्य स्वामी रामानन्द को षड्दर्शन साधु समाज ने तिलक चादर देकर किया पट्टाभिषेक  

हरिद्वार, 14 जनवरी। उत्तरी हरिद्वार की प्रख्यात धार्मिक संस्था श्री विशुद्धानन्द आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी सच्चिदानन्द महाराज ने अपने सुयोग्य शिष्य स्वामी रामानन्द को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। इस अवसर पर षड्दर्शन साधु समाज ने उदासीन सम्प्रदाय के म.मं. स्वामी हरिप्रकाश महाराज की पावन अध्यक्षता में स्वामी रामानन्द महाराज को तिलक चादर देकर उनका पट्टाभिषेक किया। इस अवसर पर महंत रविदेव शास्त्री के संचालन में आयोजित पट्टाभिषेक समारोह में म.मं. स्वामी हरिचेतानन्द महाराज ने कहा कि गुरू के प्रति निष्ठा और भक्ति शिष्य को सद्मार्ग की ओर अग्रसर करती है, सुयोग्य शिष्य अपने गुरूजनों की यश कीर्ति में वृद्धि करता है। उन्होंने कहा कि संत रामानन्द महाराज ने अपने गुरू स्वामी सच्चिदानन्द और संस्था के प्रति जो निष्ठा भाव रखा उसी का परिणाम है कि आज संत समाज उन्हें स्वामी सच्चिदानन्द के उत्तराधिकारी के रूप में स्वीकार कर उन्हें अपने आशीर्वाद से अभिसिंचित कर रहा है। पट्टाभिषेक समारोह की अध्यक्षता करते हुए उदासीन अखाड़े के महामण्डलेश्वर एवं साधु सुधा गंगा दर्शन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी हरिप्रकाश महाराज ने कहा कि गुरू शिष्य परम्परा संत समाज की अविरल परम्परा है जिसके अनुसार गुरू अपने श्रेष्ठ शिष्य को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर अपने पद पर प्रतिष्ठित करता है। उन्होंने कहा कि पारस तो लोहे को सोना बनाता है लेकिन गुरू अपने शिष्य को अपना स्वरूप देकर अपने जैसा ही बना देता है। श्री विशुद्धानन्द आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी सच्चिदानन्द महाराज ने संत समाज का आभार प्रकट करते हुए कहा कि गरीबदासीय परम्परा से जुड़े श्री विशुद्धानन्द आश्रम की यह परम्परा रही है कि यहां पर संत सेवा, गौ सेवा और धर्म प्रचार का कार्य निरन्तर होता रहता है। आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी अजरानन्द ने जो परम्परा शुरू की थी उसे स्वामी रामानन्द आगे बढ़ायेंगे ऐसा विश्वास है। उत्तराधिकारी के पद पर आसीन होने के पश्चात स्वामी रामानन्द ने संत समाज और अपने गुरूदेव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि गुरूदेव ने जिस विश्वास के साथ मुझे दायित्व सौंपा है उसका जीवन भर निष्ठापूर्वक निर्वहन करता रहूंगा। 

इस अवसर पर म.मं. स्वामी प्रेमानन्द, स्वामी सतपाल ब्रह्मचारी, महंत विष्णु दास, महंत सूरज दास, महंत दुर्गादास, महंत योगेन्द्रानन्द शास्त्री, महंत केशवानन्द, स्वामी सच्चिदानन्द गोस्वामी, महंत प्रेमानन्द, महंत शिवानन्द, लाल माता मंदिर के संचालक भक्त दुर्गादास, भाजपा पार्षद दल के उपनेता अनिरूद्ध भाटी, पार्षद महावीर वशिष्ठ, अनिल वशिष्ठ, डॉ. श्यामपुरी, डॉ. प्रेमप्रकाश सतलेवाल आदि समेत संत-महंत सहित श्रद्धालु भक्तगण उपस्थित रहे।



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