कुम्भ मेले की महिमा

 समन्वय का पर्व है कुम्भ मेला :-श्रीमहंत ललिता नंद गिरि जी महाराज 


सनातन हिन्दू धर्म में कुम्भ मेला समन्वय का पर्व है जिसमें हिन्दू धर्म के विभिन्न सम्प्रदायो ,विचारों, भाषाभाषियो का एक स्थान पर मिलन होता है और हर जाति का व्यक्ति पुण्य की डुबकी लगाता है। भारत माता मंदिर के संस्थापक हमारे पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज समन्वयवादी संत थे जिन्होंने सारे विश्व को प्रेम और बंधुत्व के सूत्र में बांधकर सबको समन्वयवाद का सिद्धांत दिया और जीवन पर्यन्त  समन्वय ,सेवा और राष्ट्र भक्ति की भावना को मजबूत करते रहे।

भारत माता मंदिर में गुरु देव ने हिन्दू धर्म के विभिन्न संतजनो की प्रतिमाऐ स्थापित की, वीर शहीदो ,महापुरुषो, वीरांगनाओ को सम्मान देकर भारत माता मंदिर को विश्व मे समन्वय का प्रतीक बनाया। इसी प्रकार कुम्भ मेले का आयोजन भारत की धार्मिक विविधता में हिन्दू धर्म और दर्शन के समन्वय को परिलक्षित करता है। जिसके मूल में परहित पुण्य और परपिडा पाप के सिद्धांत को दर्शिता है।

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