अध्यात्म चेतना संघ ने फिल्मी हस्तियो को किया सम्मानित


 हरिद्वार की अग्रणीय सांस्कृतिक संस्था "अध्यात्म चेतना संघ (रजि0)" ने मुम्बई फ़िल्म जगत में अभिनय, निर्देशन व संगीत के माध्यम से भारतीय संस्कृति का प्रसार-प्रचार कर रहे देश के चार दिग्गजों को सम्मानित किया। इस अवसर पर संस्था के संस्थापक अध्यक्ष प्रसिद्ध कथा व्यास आचार्य करुणेश मिश्र के साथ संस्था के महामंत्री श्री भूपेन्द्र गौड़ उपस्थित रहे। आचार्य करूणेश मिश्र ने बताया कि  सम्मान प्राप्त करने वालो में  श्री चन्द्र प्रकाश द्विवेदी - टीवी के मोस्ट पॉपुलर शो चाणक्य को बनाने वाले डायरेक्टर-स्क्रीनराइटर श्री चंद्र प्रकाश द्विवेदी जो अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म पृथ्वीराज को डायरेक्ट कर रहे हैं. ऐतिहासिक ड्रामा में उनका कोई सानी नहीं है; अपने निर्देशन का कमाल वे एपिक शो चाणक्य में साबित कर चुके हैं।  चंद्र प्रकाश द्विवेदी की 2018 में मोहल्ला अस्सी रिलीज हुई थी. वे इससे पहले पिंजर, जेड प्लस जैसी फिल्में बना चुके हैं। फ़िल्म, सीरियल के माध्यम से भारतीय जीवन दर्शन को प्रस्तुत करना इनका उद्देश्य है उन्होने बताया कि दूसरी हस्ती के रुप में  राम गोपाल बजाज को सम्मानित किया जिन्होंने  फिल्मों व रंगमंचों के माध्यम से निरन्तर भारतीय संस्कृति के उत्थान में तत्पर राम गोपाल बजाज भारतीय रंगमंच निदेशक, हिन्दी फिल्म अभिनेता और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पूर्व निदेशक है। राम गोपाल बजाज को 1996 में थिएटर में उनके योगदान के लिए पद्मश्री और 2003 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। "जौली एल.एल.बी.2" सहित अनेक फिल्मों में काम कर चुके रामगोपाल बजाज ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के साथ कई नाटकों का निर्देशन किया। सूर्य की अन्तिम किरण से, सूर्य की पहली किरण तक (1974), जयशंकर प्रसाद की स्कंदगुप्त(1977), केदे हेयात (1989),मोहन राकेश का  अषाड का एक   दिन (1992) प्रमुख है। राम गोपाल बजाज ने गिरीश कर्नाड के रक्त् कल्याण (Taledanda) का हिन्दी अनुवाद भी किया है। जिसका निर्देशन इब्राहीम अलकाजी ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (1992) और अरविन्द गौड़ ने अस्मिता नाट्य संस्था (1995) के लिये किया। उन्होंने उत्सव (1984) और गोधूलि (1977) जैसी कला फिल्मों में एक सहायक निर्देशक के रूप में काम भी किया और बाद में मासूम (1983), मिर्च मसाला (1985), चांदनी (1989) परजानिया, गुरु जैसी फिल्मों मैं काम किया। वह वर्तमान में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, नई दिल्ली की अकादमिक परिषद के एक सदस्य है ललित पंडित - "जतिन-ललित" हिन्दी फिल्मों की संगीतकार जोड़ी है। इसमें दो भाई जतिन पंडित और ललित पंडित है। दोनों का ताल्लुक उल्लेखनीय संगीत परिवार से है। मशहूर अभिनेत्रियाँ सुलक्षणा पंडित और विजयता पंडित इनकी बहनें है। "जो जीता वो ही सिकंदर, कभी हाँ कभी ना, खामोशी: द म्युजकल, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, येस बॉस, जब प्यार किसी से होता है, कुछ कुछ होता है, मोहब्बतें, कभी खुशी कभी ग़म और फना" इन मशहूर फिल्मों में इन्होंने संगीत दिया है। दोनों को फ़िल्मफेयर पुरस्कार के सर्वश्रेष्ठ संगीतकार की श्रेणी में 11 बार नामित किया गया है। इस संगीतकार जोड़ी को सम्मानित किया।  चतुुर्थ हस्ति के रूप में   पण्डित स्वर रतन शर्मा - विश्वविख्यात संगीत सम्राट श्री पण्डित जसराज के पौत्र और शिष्य पण्डित स्वर रतन शर्मा भारतीय शास्त्रीय संगीत का उभरता हुआ नक्षत्र है। अत्यल्प आयु में अपनी अनूठे शास्त्रीय गायन से विश्व के अनेक बड़े मंचों पर तहलका मचा देने वाले स्वर रतन शर्मा सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पण्डित रतन मोहन शर्मा के सुपुत्र हैं। स्वर्गीय पण्डित जसराज जी प्रायः कहा करते थे कि शास्त्रीय गायकी में स्वर मुझसे भी बहुत आगे जायेगा। अध्यात्म चेतना संघ के महामंत्री भूपेन्द्र गौड ने बताया कि इन महान हस्तियो का सम्मान मुंबई जा कर किया गया। 



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