🤣
*मास्टर जी से एक मर्डर हो गया...*
अब..
लाश को ठिकाने लगाने के लिए मास्टर जी ने आठ दस मास्टर इकट्ठे किये..
और माथे पर रुमाल लपेटकर जनाज़े का इंतजाम किया.
जनाजे में लाश रख दी गयी. सभी मास्टर अपने माथे पर रुमाल लपेटकर जनाजे को अपने कंधे पर लेकर कब्रिस्तान की ओर चल पडे.
रास्ते मे जनाज़ा देखकर अनजान लोग भी कंधा देने आने लगे. मास्टर जी ने मौका देखकर जनाजे का कंधा अनजान लोग को थमा दिया... और एक एक कर के बारी बारी से सभी मास्टर रफूचक्कर हो गये!
कब्रिस्तान तक एक भी मास्टर नहीं गया... फंस गये वो अनजान लोग जो दिल के भोले थे. किसी को नहीं मालूम था कि ये किसकी लाश थी. लेकिन.. अब उस लाश लेकर चलना.. उनकी मजबूरी बन गया था.
🤔😘🥳
इस कहानी का.. *किसान आंदोलन* से.. सीधा सीधा लेना देना है !
😁
जो राकेश टिकैट.. 4 महीने पहले तक.. इसी किसान बिल की तारीफ करते नहीं थक रहे थे, वह विपक्षियों द्वारा दिए गए.. नोटों से भरे सूटकेसों के लालच में आकर.. *किसान आंदोलन* में कूद पड़े !
और जिन लोगों ने नोटों से भरे सूटकेस दिए थे वह तो खिसक लिए. अब आंदोलन चलाना उनकी मजबूरी बन गई है,
क्योंकि अगर आंदोलन आगे नहीं चलाते हैं तो.. ’धोबी का कुत्ता.. ना घर का, ना घाट का’ वह वाली स्थिति हो जाएगी !
🤪🤣👍🤔😘🥳😜😜😜
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