धार्मिक ग्रंथ संस्कार देते है।

 ट्रेन के इंतजार में एक बुजुर्ग रेलवे स्टेशन पर बैठकर रामायण पढ़ रहे थे, तभी वहां ट्रेन के इंतजार में बैठे एक नव दंपत्ति जोड़े में से उस नवयुवक ने कहा...


बाबा आप इन सुनी सुनाई कहानी कथाओं को पढ़कर क्यों अपना समय बर्बाद कर रहे हैं, इनसे आपको क्या सीखने को मिलेगा ? 


अगर पढ़ना ही है तो इंडिया टुडे पढ़ो, अखबार पढ़ो और भी बहुत सारी चीजें हैं जो आपको दुनियादारी की बातें सिखाती हैं, व्यवहारिक ज्ञान देती है, उन्हें पढ़ो। 


तभी अचानक ट्रेन आ गई, युवक अगले गेट से और बाबा पिछले गेट से ट्रेन में चढ़ गए। ट्रेन चलने के थोड़ी देर बाद युवक के चीखने चिल्लाने की आवाज आई। 


क्योंकि युवक खुद तो ट्रेन में चढ़ गया था, पर उसकी पत्नी नीचे रह गई, ट्रेन में नहीं चढ़ सकी। 


तभी बाबा ने कहा- बेटा तुमने इंडिया टुडे, अखबार व अन्य सैकड़ों पुस्तकें पढ़ने के बजाय अगर रामायण पढ़ी होती तो तुम्हें ज्ञात होता कि राम जी ने वनवास जाते समय पहले सीता जी को रथ पर चढ़ाया था उसके बाद खुद चढ़े थे। 


अतः तुम भी पहले अपनी पत्नी को ट्रेन में चढ़ाते उसके बाद खुद चढ़ते तो आज तुम्हारे साथ यह वाकिया नहीं होता।


अतः इस लेख का तात्पर्य यह है कि....


*आधुनिक ज्ञान हमारे भौतिक सुख को बढ़ा सकता है, लेकिन हमारा सनातन धर्म और हमारे ग्रंथ हमें जीवन जीना सिखाते हैं। इसलिए जो बात हमें हमारे ग्रंथ व सनातन धर्म सिखाता है वह आज की पुस्तकें नहीं।* 


लघु कथा अच्छी लगी तो बोलें---


 जय श्री राम जय जय  सियाराम🙏🙏 

🌹🌹🌹



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