बढता प्रदूषण बच्चों के लिए एक धीमा जहर

 महानगरों में बढता प्रदूषण बच्चों के लिए हैं हानिकारक (समाजसेवी लक्ष्मी राजन सिंह "ओजस्वी "पुणे) 

प्रदूषण एक धीमा जहर है जो हमारे मासूम बच्चों के भविष्य को खोखला करता जा रहा है ,क्या हमने कभी सोचा है कि हम अपने बच्चों को कैसा भविष्य दे रहे है विशेषकर महानगरों में रहने वाले बच्चे जो अनजाने में ही महानगरों  में बढ़ते प्रदूषण का शिकार हो रहे हैं समय से पहले अस्थमा जैसे रोगो का शिकार हो रहे हैं।

        बच्चे देश का भविष्य है, हमारे बच्चे स्वस्थ रहे यह भी हमारी जिम्मेदारी है। जिस तेजी से प्रदूषण बढ रहा है उसे देखते हुए कहना  मुश्किल है कि हम अपने बच्चों को सुरक्षित, रोगमुक्त भविष्य दे पायेंगे ।बच्चों को सुरक्षित भविष्य देना समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है ,दुनिया में आने वाला बच्चा माँ के गर्भ से ही प्रदूषण का शिकार होने लगता है क्यों कि उसकी माँ का जीवन बढते प्रदूषण से प्रभावित रहता है और गर्भस्थ शिशु जाने अनजाने में माँ के माध्यम से जहरीली साँसे लेता हूआ दुनिया में आता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार बढते वायु, जल, प्रदूषण और विकिरण के कारण दस में से नौ व्यक्ति प्रदूषित वातावरण में साँस लेकर विभिन्न रोगो का शिकार हो रहे हैं,विशेषकर मासूम बच्चों में अस्थमा, मधुमेह, कार्डियोवस्कुलर रोग, निमोनिया, ब्रोकाईटिस जैसे रोगो का कारण प्रदूषित वायु, जल और विकिरण है जो अदृश्य रूप से हमारे शरीर के विभिन्न अंगो को प्रभावित करता


है और कम्प्यूटर, मोबाइल टावर्स से उच्च फ्रीक्वैंसी की तरंगे बच्चों की आँखों, मस्तिष्क, हृदय और नाजुक अंगो को प्रभावित करती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हर पाँच बच्चों की मौतो में से एक बच्चे की मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है। बडो और वृद्धजनो में कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग का कारण प्रदूषण है। जिसे जागरूकता के साथ ही रोका जा सकता है और योग प्राणायाम से शरीर को  स्वस्थ रखने में सहायता मिलती है।

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