जूना अखाड़े में समष्टि भण्डारे व जलपान का दौर शुरू
हरिद्वार। हरिद्वार कुम्भ 2021 का मध्य चरण प्रारम्भ हो गया है,जिसके चले सन्यासी तथा बैरागी अखाड़ों में समष्टि भण्डारे तथा जलपान का दौर शुरू हो गया है। हलांकि कोरोना के कारण समष्टि भण्डारे लगभग नही के बराबर हो रहे है,लेकिन जलपान के कार्यक्रम लगातार आयोजित किए जा रहे है। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ें में शनिवार को थानापति महेन्द्र गिरि महाराज13मढ़ी प्राचीन सिद्व कुटी नोएडा ने अपने शिविर में जलपान का आयोजन किया,जिसमें अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज की अध्यक्षता में सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि जी महाराज,सचिव श्रीमहंत मोहन भारती,श्रीेमहंत महेशपुरी,थानापति नीलकंठ गिरि सहित सैकड़ो नागा सन्यासियों ने भाग लिया। उधर चार मढ़ी की छावनी में मण्डल की श्रीमहंत की पुकार हुयी। मढ़ी के सभागार में सभापति श्रीमहंत उमाशंकर भारती की अध्यक्षता व सचिव श्रीमहंत मोहन भारती के संचालन में मढ़ी की बैठक हुयी जिसमें रमता पंचो श्रीमहंत भल्ले गिरि,श्रीमहंत सुरेशानंद सरस्वती,श्रीमहंत रमण गिरि ने मुरैना राजस्थान के श्रीमहंत विवेक भारती को मण्डल का श्रीमहंत घोषित करते हुए दत्रात्तेय चरण पादुका पर पुकार की । नवनिर्वाचित मण्डल श्रीमहंत विवेक भारती को अखाड़े के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती,महामंत्री श्रीमहंत किशन भारती,श्रीमहंत निरजन भारती आदि ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वह अखाड़े की प्रगति तथा सनातन धर्म के प्रसार प्रचार में पूर्ण निष्ठा तथा समपर्ण के साथ कार्य करेगें।
जूना अखाडे के वरिष्ठतम महामंडलेश्वर स्वामी विशम्भर भारती हुए ब्रह्मलीन
ख्यातिप्राप्त वरिष्ठतम महामण्डलेश्वर स्वामी विशम्भर भारती रविवार की प्रातः ब्रहमलीन
प्रधानमंत्री,गृहमंत्री सहित संतो ने जताया शोक,बताया अपूरणीय क्षति
हरिद्वार। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वरिष्ठतम महामण्डलेश्वर स्वामी विशम्भर भारती रविवार की प्रातः ब्रहमलीन हो गये। वह पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। उनके आकस्मिक निधन से जूना अखाड़े तथा समस्त अध्यात्म जगत में शोक की लहर दौड़ गयी है। ब्रहमलीन महामण्डलेश्वर विशम्भर भारती जी गुजरात में अत्यंत लोकप्रिय थे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह,गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सी.आर.पटेल ने शोक प्रकट करते हुए अपने शोक संदेश में इसके एक युग की समाप्ति बताया है। ब्रहमलीन महामण्डलेश्वर को शनिवार को सबेरे भावनाथ तलहटी जूनागढ़ स्थित भारती आश्रम में उनके उत्तराधिकारी शिष्य जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय सभापति हरिहरानंद भारती,महंत सोमानंद भारती की देख-रेख में पूर्ण विधि विधान से भू-समाधि दे दी गयी है। इधर जूना अखाड़ा परिसर में श्रद्वांजलि सभा का आयोजन अन्र्तराष्टीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज तथा अन्र्तराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेमगिरि जी महाराज के संयोजनम ें किया गया,जिसमें ब्रहमलीन महामण्डलेश्वर महत विशम्भर भारती को भावमीनी श्रद्वांजलि देते हुए श्रीमहंत हरिगिरि ने कहा उनका निधन जूना अखाड़े की ऐसी क्षति है,जिसे पूरा नही किया जा सकता । उन्होने अन्र्तराष्टीय स्तर पर जूना अखाड़े की ख्याति फेलायी थी। गुजरात सहित जूना अखाड़े की पूरे देश की शाखाओं की उन्नति प्रगति और विस्तार में उनका योगदान रहा है। वह एक वटवृक्ष की भाॅति निरन्तर प्रगति कर रहा था। सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि ने कहा शिक्षा,चिकित्सा,गौसेवा के क्षेत्र में वह विशेष रूप् से सक्रिय थे। गुजरात सहित कई प्रदेशों में विद्यालय,वृद्वाश्रम,गौशाला,चिकित्सालय,अन्नक्षेत्र आदि के माध्यक से वह आम नागरिको की सेवा में जुटे थे। अध्यात्म जगत में इस दैदीप्यमान नक्षत्र के अवसान से हम सभी स्तब्ध है। सभापति श्रीमहंत सोहन गिरि,अन्र्तराष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती,श्रीमहंत उमाशंकर भारती, अन्र्तराष्टीय सचिव श्रीमहंत मोहन भारती,दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि,गाजीपति श्रीमहंत पृथ्वी गिरि,सुमेरूपीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती,रमता पंच श्रीमहंत भल्लेगिरि,श्रीमहंत आनन्द गिरि,श्रीमहंत सुरेशानंद गिरि,श्रीमहंत रमण गिरि,महामंत्री श्रीमहंत केदारपुरी,महामण्डलेश्वर महेन्द्रानंद गिरि,महामण्डलेश्वर जयअंबानंद गिरि,श्रीमहंत शिवानंद सरस्वती,किन्नर अखाड़े की आचार्य महामण्डलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी सहित सैकड़ीे नागा सन्यासियों ने उन्हे श्रद्वांजलि प्रदान की। संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि ने बताया उनकी स्मृति में हरिद्वार मायादेवी मन्दिर,श्रीआनंद भैरव मन्दिर,श्रीदुःखहरण हनुमान मन्दिर,भौजगिरि मन्दिर प्रयागरााज,काशी नीलगंगा उज्जैन,नासिक,भावनाथ मन्दिर जूनागढ,वृन्दावन,खेड़ामढ़ी उत्तर प्रदेश सहित जूना अखाड़े के समस्त स्थानों,अन्नक्षेत्र में विशेष पूजा अर्चना तथा शंातिपाठ आयोजित किए जा रहे है। उनकी षोडषी में पूरे देश के साधु संत जूना गढ़ पहुचेंगे।
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