देश हित में है आयुर्वेदक चिकित्सा


 अब गांवों को अपने अनुभव से सस्ते में आरोग्य दे रहे अप्रशिक्षित एलोपैथी चिकित्सकों को स्वास्थ्य रक्षक की #मान्यता दिलाने व #रसोईबैद्य आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया क्या? लगता तो यही है।

क्योंकि एक तरफ इस कोरोना काल में देश के लगभग 80 प्रतिशत लोगों का भारतीय  #आयुर्वेदिक_फार्मूले व #जड़ीबूटी पर विश्वास बढ़ा है। क्योंकि एक हद तक हमारे घरों के भारतीय #किचेन ने ही इस वैश्विक महामारी का उपचार सामने लाकर रख दिया। कालीमिर्च, लौंग, गिलोय, हल्दी, अदरक, गुड़, अजवाइन जैसी जड़ीबूटियों व आयुर्वेदिक नुस्खों ने कोरोना के 90 प्रतिशत मरीजो को ठीक करने में बड़ी भूमिका निभाई।

       जिससे बड़ी बड़ी एलोपैथीक #कम्पनियों की चूलें हिल गईं हैं। उन्हें अपने भावी #व्यापार को लेकर भय सताने लगा है। सम्भव है IMA (आईएमए) उन्हीं का मोहरा बनकर #पतंजलि व स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण के बहाने योग एवं #आयुर्वेद तथा भारतीय चिकित्सा पद्धतियों का उपहास उड़ाने के लिए अड़ पड़ा हो। 

     तभी तो #आईएमए दारोगा साहब बनता जा रहा। कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना। वाह रे तेरी एलोपैथी #चिकित्सक व चिकित्सा के प्रति संवेदनशीलता। कहीं इसी को हथियार बनाकर आयुर्वेद के प्रति बढ़ते #जनविश्वास को रौंदना तो नहीं चाहते?

       यद्यपि स्वामी रामदेव ने कोई अनहोनी बात नहीं कह दी थी, फिर भी उन्होंने माफी मांग ली। इसके बावजूद आईएमए #एसोसिएशन शांत होने को  तैयार नहीं है बेचारा।

    वैसे ये 25 सवाल भले अब पतंजलि की ओर से स्वामी जी ने पूछे हों, पर ये #देश की आम जनता के जेहन में दशकों से उपज रहे थे। जिसे स्वामी जी व आचार्य #बालकृष्ण जी ने आवाज दे दी है।

          वास्तव में बाबा रामदेव जी सहित सम्पूर्ण देश को आयुर्वेद के साथ साथ अपने करोड़ो एलोपैथिक चिकित्सकों पर पूरा गर्व है। पर उन बड़ी बड़ी पूंजियो में लिपटे #ब्रांडेड, गैर ब्रांडेड एलोपैथिक व्यावसायिक घरानों, चिकित्सा संस्थानों को यह देश क्या करे, जिसमें घुसने के लिए देश के #गरीब आम जनमानस की हिम्मत न पड़ती हो?

       यही नहीं जिन लोगों की आर्थिकी मजबूत है और इन तथाकथित बड़ी अट्टालिका वाले स्वास्थ्य संस्थानों में घुसकर इलाज कराने की हिम्मत पड़ती भी है। वे भी चिकित्सा के नाम पर लूट के चलते #कंगाली पर आ जाते हैं, कही कहीं इस धरती से उठ चुके मरीजों के परिवारी जनों के साथ इतना दुखद व्यवहार होता है, कहना कठिन है। 

     अब देश पूछना चाहता है कि यह एसोसिएशन आम जनमानस की पहुँच से दूर रहने वाले ऐसे #लूटरैकेट के विरोध में आवाज क्यों नहीं उठाता? आखिर हमारा साधारण आर्थिकी वाला देश चिकित्सा के नाम पर हो रही इस डकैती को कबतक सहता रहे? 

    यही नहीं एसोसिएशन में मानक के नाम पर तो वही एलोपैथी घराने वाले चिकित्सा संस्थान सुहाते हैं न, जो ब्रांडेड हैं, जो आम जनता की आंतें खींच लेने में माहिर हों, अन्यथा यह उन एलोपैथी चिकित्सक व चिकित्सा संस्थान को तो घास भी नहीं डालते, जो एलोपैथी के सहारे #स्वास्थ्यसेवा की राह पकड़ कर चल रहे हैं। 

      और तो और देश के सात #लाख से अधिक गांवों में करोड़ो गरीब जनता का 20 से 50 - 100 रुपये में एलोपैथी दवा से इलाज करने वाले वर्षों के अनुभवी लोगों को तुम अपनी बिरादरी में ही शामिल नहीं करते और इन्हें #झोलाछाप के रूप में किसी प्रकार गरीब जनता की सेवा व अपनी #जीविका चलानी पड़ती है।

      फिर चिकित्सा मानक के नाम पर चल रहे तुम्हारे इस बड़े ऊंचे नामधारी एलोपैथी टन्डीले को कोई क्या करे?

      आज यह मानने में गुरेज नहीं होता कि तथाकथित बड़े चिकित्सा व्यवसाय से जुड़े संस्थानों की #लाबी के सामने देश के आम गरीब कीड़ा मकोड़ा दिखते हैं, उनके उपचार की बात तो तुम्हारे जेहन में भी नहीं आती। क्या इस पर भी #आईएमए कभी मौन तोड़ेगा?

      वास्तव में देश में ऐसे तथाकथित पूंजीपति हॉस्पिटलों का बड़ा रैकेट है, जो #मशीनों पर आधारित चिकित्सा करके कदम कदम पर लूटते हैं। और तो और बिना पैसा वसूल लिए लाश तक नहीं छूने देते। इस #संवेदनहीनता पर भी क्या कभी आवाज उठाई है? वाह रे तेरी रिसर्च बेस्ड चिकित्सा।

      सच में स्वामी रामदेव के बयानों में असली समस्या तो बड़े बड़े चिकित्सा घरानों व संस्थानों की खतरे में आती मोटी कमाई है, कि कहीं वह सब बाबा के #प्रश्नों से भरभराने न लगे।

      समय आ गया है कि देश की आम जनता की 60 प्रतिशत कमाई सिर्फ मेडिकल के नाम पर अब न लुटने पाए। एलोपैथी के नाम पर 2 रुपये की #टेबलेट 200 में बेच कर धनवान बनने का ख्वाब भी अब मिलकर तोड़ना होगा।

    जिससे देश के ऐसे मेडिकल एसोसिएशन आईएमए जैसे संगठन दूसरों के मुखौटे बनने से बचाना भी आयुर्वेद का धर्म है।

     इसके लिए पतंजलि जैसे संस्थानों को #सरकार पर दबाव डालकर गांव के अनुभवी झोलाछाप चिकित्सकों के समुचित #मान्यता की लड़ाई लड़नी होगी। साथ ही #रसोईबैद्य आंदोलन खड़ा करना होगा।

     अब लड़ाई छिड़ी है तो #लोकहित में दूर तक जानी चाहिए।  इसमें देश का भी भला निहित है।

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