ब्रह्मलीन स्वामी सर्वेश्वरानंद महाराज का षोडशी कार्यक्रम हुआ सम्पन्न

 स्वामी सर्वेश्वरानंद को संत समाज ने दी श्रद्धांजलि 

महंत केशव चैतन्य के संयोजन और साध्वी राज माता के सानिध्य में सम्पन्न हुआ षोडशी कार्यक्रम 


हरिद्वार 21 म ई (अमर शदाणी संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार) 






  सर्वेश्वर आश्रम भूपतवाला के वयोवृद्ध परमाध्यक्ष ब्रह्मलीन स्वामी सर्वेश्वरानंद महाराज की षोडशी षड् दर्शन साधु समाज की पावन उपस्थित में उनके शिष्य महंत केशव चैतन्य के संयोजन एवं साध्वी राज माता के सानिध्य में श्रद्धा पूर्वक मनाई गई। श्रद्धांजलि सभा में हरिद्वार नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन स्वामी सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि  ब्रह्मलीन स्वामी सर्वेश्वरानंद महाराज तपस्वी संत थे जिन्होंने अपना समूचा जीवन गंगा तट पर धर्म कर्म पूजा पाठ में व्यतीत किया। हमे विश्वास है कि उनके शिष्य महंत केशव चैतन्य, साध्वी राज माता उनकी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए सर्वेश्वर आश्रम को प्रगति के पथ पर अग्रसर करेंगे। निरंजनी अखाडे के महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि महाराज ने कहा  ब्रह्मलीन स्वामी सर्वेश्वरानंद महाराज ने धर्म प्रचार के साथ -साथ अपनी भक्त मंडली को परमार्थ के कार्य करने के लिए प्रेरित किया। बड़ा अखाड़ा उदासीन के महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतना नंद महाराज ने कहा कि संत और सरिता परमार्थ के लिए धरा धाम पर अवतरित होते है स्वामी सर्वेश्वरानंद महाराज ने अपने जीवन काल में धर्म का आश्रय लेकर मानवता की सेवा का जो मार्ग चुना उसके अनुगामी उनके शिष्य केशव चैतन्य और साध्वी राज माता भी रहेगी ऐसी मंगल कामनाऐ करते है। ब्रह्मलीन स्वामी सर्वेश्वरानंद महाराज के शिष्य महंत केशव चैतन्य एवं  साध्वी राज माता ने संतजनो के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि  संतजनो के मार्गदर्शन में गुरु देव ने जो उत्तरदायित्व हमे सौंपा है उसका निष्ठापूर्वक निर्वाहन करेंगे। इस अवसर पर जूना अखाडे के पूर्व राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत देवानंद सरस्वती, भजन गढ़ के परमाध्यक्ष महंत मोहन सिंह, स्वामी राम सेवक दास, पार्षद अनिल मिश्रा,शिव दास दूबे, विदित शर्मा, आकाश भाटी,अनिल कौशिक, सुरेश गोयल, सचिन कुमार, दीपक सहित संत, भक्तजनो ने ब्रह्मलीन स्वामी सर्वेश्वरानंद महाराज को उनकी षोडशी पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके शिष्य महंत केशव चैतन्य एवं साध्वी राज माता के प्रति मंगल कामनाऐ प्रकट की, षोडशी कार्यक्रम का संचालन श्री महंत देवानंद सरस्वती महाराज ने किया।

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