वर्तमान में करोना रूपी महामारी के संदर्भ में हमें अपने रहन-सहन के स्तर पर कई प्रकार के परिवर्तन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है lपरंतु यदि सांस्कृतिक विरासत के संदर्भ में देखें तो आज हमें उन सब बातों को अपने जीवन पर दोबारा लागू करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिसका किसी समय पर हमारे पूर्वजों ने अनुसरण किया थाl और हम धीरे धीरे पाश्चात्य श्रेणी की तरफ आकर्षित होते हुए इन सब बातों को अपने से दूर करते चले गएl
आज हमने अपनी दिनचर्या को अपनी सुविधा के अनुसार इस प्रकार ढाल लिया है, कि हमारे पूर्वजों द्वारा अपने कई वर्षों के अनुभव के आधार पर बनाई गई दिनचर्या को हमने एक किनारे पर रख दियाl आज उसी का परिणाम है कि किसी भी बीमारी से लड़ने की हमारी आंतरिक शक्ति काफी कमजोर हो गई है l जिसके वजह से हमारे समाज को काफी हानि उठानी पड़ रही हैl
आज समाज में व्याप्त निराशाजनक वातावरण के लिए जहां एक और बिकाऊ मीडिया एवं समाज के कुछ स्वार्थी लोग जिम्मेदार है ,उतने ही जिम्मेदार हम भी हैं क्योंकि हमने गलत चीजों को स्वीकार करने की प्रवृत्ति से बना ली हैl
आज हम अपनी जिम्मेदारियों से दूर भागते हुए समाज में फैलाई जा रही कुरीतियों से लड़ने की बजाएं उसको से स्वीकार कर लेते हैंl
वर्तमान परिस्थितियों में यह आवश्यक है कि समाज में कोई भी तत्व जो नकारात्मक वातावरण उत्पन्न कर रहा है हमें उस का खुलकर विरोध करना चाहिए और सकारात्मक विचारधाराओं को प्रस्तुत करना चाहिएl यही एक तरीका है जिससे हम हमारे ऊपर आने वाली किसी भी विकट परिस्थितियों से लड़ने के लिए सक्षम होंगेl
जहां एक और भारत विश्व गुरु के रूप में उभर रहा है और पूरा संसार भारत की तरफ एक विश्वास भरी दृष्टिकोण से देख रहा है वही कुछ स्वार्थी एवं देशद्रोही तत्वों द्वारा जोकि हमारे बीच में ही उपस्थित है, देश को इस महामारी के सामने विवश करने की स्थिति में ला दिया हैl
अतः संकट इस घड़ी में हम सब लोग एकजुट होकर नकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करने वाले लोगों का बहिष्कार करें और एक दूसरे से मिलकर देश को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग देंl
आज एक दूसरे पर दोषारोपण करने की अपेक्षा इस परिस्थिति से लड़ने के लिए आगे आने की जरूरत है क्योंकि बीता हुआ कल तो चला गया हमें आने वाले कल के बारे में सोचना हैl
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