साहित्यक संस्थाओ, साहित्यकारो ने दी दिवंगत के एल दिवान जी को श्रद्धांजलि

  हरिद्वार 29 जून( विरेन्द्र शर्मा संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार) 





 हरिद्वार के प्रख्यात हिंदी साहित्यकार, कवि एवं कहानीकार के. एल. दीवान जी जिनका गौरव उत्तराखंड में ही नहीं अपितु भारत के विभिन्न राज्यों में सुविख्यात था । दीवान जी के निधन से साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति हुई है। 12 अक्टूबर सन् 1934 को मियांवाली( जो अब पाकिस्तान में है ) में जन्मे  के.एल .दीवान जी का संपूर्ण जीवन शिक्षा, साहित्य एवं समाज सेवा से जुड़ा रहा। उनका निधन 28 जून 2021 को हुआ।  वे 87 वर्षीय हिंदी साहित्य साधक थे। श्री दीवान जी ने सन् 1960 से लेकर 1973 तक विभिन्न विद्यालयों में शिक्षण कार्य किया। इसके बाद हरिद्वार में ज्ञानोदय अकादमी की स्थापना कर शिक्षा का प्रचार प्रसार किया। 2 नवंबर सन् 1992 को दीपशिखा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच की स्थापना कर हिंदी के संवर्धन में विशिष्ट योगदान किया।


 दीपशिखा मंच की अध्यक्ष एवं कवयित्री डॉ मीरा भारद्वाज ने कहा  कि निरंतर मासिक  काव्य गोष्ठी करना उनका साहित्यिक प्रेम था। संस्थापक अध्यक्ष की हैसियत से दीवान जी ने दीपशिखा मंच की ओर से लगभग 100 से भी अधिक कवियों, लेखकों व संपादकों को सम्मानित कर, नवोदित साहित्यकारों को प्रोत्साहित किया। पुस्तकें खरीद कर बांटना उनका दीवानापन ही नहीं अपितु उनका हिंदी के प्रति समर्पण था। उनकी साहित्य साधना को मैं नमन करती हूं।

 दीपशिखा मंच के उपाध्यक्ष एवं उनके प्रिय शिष्य कवि उमेश शर्मा ने कहा दीवान जी की कविताओं, लघु कथाओं ,कहानियों में समाज का सजीव चित्रण मिलता है। उनका साहित्यिक यात्रा उत्साह एवं विश्वास से भरी थी। मैं ऐसे अपने  गुरु के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। 

संस्था सचिव एवं कवि डॉ सुशील कुमार त्यागी 'अमित' ने कहा कि वह हम सबके प्रेरणा स्रोत एवं साहित्यिक मार्गदर्शक  तथा महान विभूति थे । गोष्ठियों में उनका उत्साह देखते ही बनता था।उनका सानिध्य एवं आशीर्वाद लंबे समय तक प्राप्त हुआ। वह एक सरस कवि ,कहानीकार, विद्वान व्यक्तित्व थे ।उनके चरणों में मेरा शत शत नमन है।

 डॉ त्यागी ने बताया कि सन् 2018 में "हिंदी साहित्य साधक कृष्ण लाल दीवान"( अभिनंदन ग्रंथ) प्रकाशित कराकर उन्हें भेंट किया गया था।


 उनके सात कहानी संग्रह, 8 कविता संग्रह,व गजल संग्रह और अनेक लघुकथाएं प्रकाशित हुई। गौरव की बात है कि उनकी रचना संसार पर शोध कार्य भी हुआ। दीवान जी को भारत की विभिन्न  राज्यों की साहित्यिक संस्थाओं से समय-समय पर सम्मानित किया गया। लगभग 75 प्रशस्ति पत्र उनकी साहित्यिक सेवाओं का प्रतीक हैं। 

हरिद्वार की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं  पारिजात ,सुमेरू काव्य मंच ,स्वर गंगा, परिक्रमा, गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट आदि अनेक संस्थाओं ने दीवान जी के निधन पर शोक व्यक्त किया। भारत के विभिन्न राज्यों से भी सोशल मीडिया के माध्यम से शोक संवेदनाएं समाचार छपने तक प्राप्त हो रही हैं।  दीपशिखा मंच एवं दीवान जी का परिवार हरिद्वार के सभी संस्थाओं, साहित्यकारों के प्रति और जो इस दुख की घड़ी में हम सब के साथ रहे उनके प्रति हार्दिक आभार  प्रकट करते हैं।

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