गीतो की कहानी
💐💐कहां गये वो लोग💐💐
🎉 रंगीला रे और नीरज🎉
हर गीत के पीछे ऊसके जन्म की कहानी होती है देव साहब की प्रेम पुजारी का गीत रंगीला रे का जन्म
शैलेंद्र का निधन हो गया. नीरज शैलेंद्र का बड़ा मान करते थे. ऐसे में उन्हें देवानंद से हुई एक मुलाकात याद आई. किसी कवि सम्मेलन में देवानंद चीफ गेस्ट बनकर आए थे. वहां उन्होंने नीरज की कविता सुनी थी. कवि सम्मेलन के बाद उन्होंने नीरज से कहा था कि तुम्हारी कविता बहुत अच्छी लगी, कभी मेरे साथ काम करना.
बड़े लोगों की बड़ी बातें. कौन जाने देवानंद को वह मुलाकात याद होगी भी कि नहीं. हो सकता है, नौजवान कवि का दिल रखने के लिए सुपरस्टार ने वे बातें कह दी हों. लेकिन दिल नहीं माना. नीरज ने देवानंद को खत लिखा. अपना परिचय दिया और देव साहब को वादा याद दिलाया. जल्द ही देवानंद की हेंडराइटिंग में लिखा खत नीरज को मिला.
बंबई से दावतनामा आया था. नीरज पहली गाड़ी पकड़कर बंबई रवाना हो गए.
देव साहब मिले. सीधे पूछा कितने दिन के लिए आए हो. नीरज ने कहा छह दिन की छुट्टी लेकर आया हूं. देव साहब प्रेम पुजारी बना रहे थे. संगीतकार थे, एस डी बर्मन. लेकिन गीतकार शैलेंद्र की जगह खाली थी. देवानंद ने बर्मन दादा से कहा नीरज से गीत लिखाएं. दादा ने पूछा, कौन नीरज. बहरहाल, बर्मन दादा आए. उन्होंने नीरज को पूरी सिचुएशन समझाई. कैसे एक भारतीय लड़की अपने प्रेमी को खोजते हुए विदेश पहुंचती है. वहां जाकर क्या देखती है कि जिस प्रेमी के लिए वह इतनी दूर आई, वह किसी और की बाहों में झूल रहा है. लडकी बौराई हुई सी हाथ में शराब का प्याला लिए नाच रही है. और साथ ही महान संगीतकार ने दो शर्तें लगाईं- गीत के बोल रंगीला शब्द से शुरू होंगे. दूसरी बात यह कि इसमें हल्के शब्द गुलगुल-बुलबुल, शमां-परवाना, शराब-जाम का इस्तेमाल नहीं होगा. बर्मन दादा चले गए, नीरज को गीत का बीज देकर. देवानंद भी सो गए.
लेकिन नीरज जागते रहे. सुबह देवानंद को गीत सुनाया: “रंगीला रे, तेरे रंग में जो रंगा है, मेरा मन, छलिया रे, किसी जल से, न बुझेगी, ये जलन.” देवानंद भाव-विभोर. बोले- ओह नीरज क्या कहने. तुरंत बर्मन दादा को फोन लगाया. कहा, गीत तैयार है. सचिन देव वर्मन अवाक, रात भर में गीत बन गया. उन्होंने भी गीत सुना. उन्होंने भी ओके कर दिया. देवानंद ने नीरज से कहा, चलो चलें. बर्मन दादा ने पूछा- कहां. अब ये कहीं नहीं जाएंगे मेरे साथ रहेंगे. और फिर नीरज सुनाते थे कि कैसे वह महान संगीतकार उन्हें अपने यहां अक्सर खाने पर बुलाता था. यह एक ऐसा सम्मान था, जिसके लिए बड़े-बड़े सितारे तरसते थे. बर्मन दादा के लिए नीरज ने ऐसे मधुर और मैलोडियस गीत लिखेhttps://youtu.be/ULiCtjGRyNY
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