भारत में बेटे की चाह ने बढा दी जनसंख्या :-डा0 सुनील बत्रा

 आज विश्व जनसंख्या दिवस है।इस वर्ष जनसंख्या दिवस की मुख्य थीम अधिकार एवं विकल्प हैं। 

पूरे विश्व की जनसंख्या  इस समय करीब 8अरब है।  डॉ सुनील कुमार बत्रा के अनुसार इसमें करीब एक अरब 36 करोड़ की जनसंख्या का प्रतिनिधित्व हमारे देश भारत का है। इसी गति से यदि जनसंख्या में वृद्धि होती रही तो वर्ष 2050 तक विश्व की जनसंख्या करीब 10 अरब और भारत की जनसंख्या 1अरब 75 करोड़ के लगभग हो जाएगी। डॉ बत्रा ने कहा कि यदि हम आंकड़ों का विश्लेषण करें तो यह पायेंगे कि जनसंख्या में वृद्धि तो हुईं हैं लेकिन अब प्रजनन दर में गिरावट का ट्रेंड परिलक्षित हो रहा है। इसका सीधे सीधे अर्थ हुआ कि बच्चे पैदा करने की दर में साल दर साल कमी आ रही हैं। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2013 में प्रजनन दर 2.3 दर्ज किया गया था, जबकि 2017 में यही प्रजनन दर घटकर केवल 1.8 रह गया। लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने , बढ़ी उम्र में शादी करने, एवं संयुक्त परिवार के विखंडन होने से लोगों में अब छोटे परिवार के प्रति रूझान बढ़ा है। डॉ बत्रा ने स्पष्ट तौर पर कहा कि यदि विवाहित दम्पत्ति में लड़के की चाहत नहीं हो तो प्रजनन दर में और अधिक गिरावट आ जायेगी। लिंग विभेदीकरण एवं लड़के की चाहत के कारण भी अभी भारत वर्ष में प्रजनन दर उतनी अधिक नहीं गिरी है।

डॉ बत्रा ने इस समस्या के विश्लेषण में कहा कि इस समय विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश

चीन एक बच्चा पैदा करने की पॉलिसी के कारण अब  निम्न प्रजनन दर के कारण इस  नयी समस्या से जूझ रहा है। वहां पर निरन्तर बुजुर्गों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हो रहीं है जबकि कार्यरत श्रमिकों की संख्या में बुजुर्गों की बड़ी संख्या होने से उत्पादकता प्रभावित होने लगी है। बुजुर्गों के स्वास्थ्य एवं देखभाल हेतु युवा मानवीय संसाधनों की भारी कमी  परिलक्षित हो रहीं हैं।इसी के दृष्टिगत चीन पुनः जनसंख्या नीति को एक बच्चे से बदल कर तीन बच्चों वाली नीति को अपना रहा है। 

   डॉ बत्रा ने स्पष्ट किया कि भारत भी यदि जनसंख्या नियंत्रण वाली नीति (एक या दो बच्चे )को यदि कठोरता से लागू करता है, जिसके कि संकेत मिल रहे हैं तो आने वाले वर्षों में हमें भी चीन जैसी समस्या से रूबरू होना पड़ेगा। अभी तो भारत को डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ प्राप्त हो रहा है क्योंकि इस समय भारत की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या  युवा वर्ग का प्रतिनिधित्व करतीं हैं। आगे आने वाले दो दशकों में हम भी चीन वाली समस्या से जूझ रहे होंगे।


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