काव्य धारा
उनसे निसबत मत पूछो।
दिल की हालत मत पूछो।।
अपनी बात कहो तुम तो।
मेरी बावत मत पूछो।।
ग़म की रातें दुख के दिन।
अबकी राहत मत पूछो।।
उसको पाना इक सपना।
उसकी चाहत मत पूछो।।
दिल लेकर वो भूल गया।
उसकी आदत मत पूछो।।
वो है रौनक महफिल की।
सीरत-सूरत मत पूछो।।
बुतखाने में जो देखा।
गैरत-हैरत मत पूछो।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094
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