🟢 *त्रिनिदाद और टोबैगो गणराज्य के उच्चायुक्त डॉ रोजर गोपाल और नेपाल दूतावास के डिप्टी चीफ आॅफ मिशन, मिनिस्टर श्री रामप्रसाद सुबेदी ने ली परमार्थ निकेतन से विदाई*
🌱 *श्री पशुपतिनाथ क्षेत्र में 11 हजार रूद्राक्ष के पौधों का रोपण और ग्रीन क्रिमेटोरियम पर हुई चर्चा*
*ऋषिकेश। 12* जुलाई (अमरेश दूबे संवाददाता गोविंद कृपा ऋषिकेश)
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने देशवासियों को पुरी, ओडिशा में आयोजित भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा की शुभकामनायें देते हुये यह दिव्य यात्रा सभी भारतवासियों के लिये आध्यात्मिक महत्व और उत्सव का अवसर है। प्रभु सभी को उत्तम स्वास्थ्य और राष्ट्र को समृद्धि प्रदान करें।
त्रिनिदाद और टोबैगो गणराज्य के उच्चायुक्त डॉ रोजर गोपाल राजेश और नेपाल दूतावास के डिप्टी चीफ आॅफ मिशन, मिनिस्टर श्री रामप्रसाद सुबेदी जी ने विश्व शान्ति हवन में आहूतियां समर्पित कर परमार्थ निकेतन से विदाई ली। पूज्य स्वामी जी ने उच्चायुक्त डॉ रोजर गोपाल राजेश और नेपाल दूतावास के डिप्टी चीफ आॅफ मिशन, मिनिस्टर श्री रामप्रसाद सुबेदी जी को रूद्राक्ष का पौधा देकर विदा किया। दोनों उच्चायुक्तों ने कहा कि वे अपनी एम्बेसी में जाकर रूद्राक्ष के पौधे का रोपण करेंगे।
नेपाल दूतावास के डिप्टी चीफ आॅफ मिशन, मिनिस्टर श्री रामप्रसाद सुबेदी जी ने सपरिवार आज परमार्थ गंगा तट पर वेद मंत्रों के साथ माँ गंगा का अभिषेेेेक और पूजन किया। तत्पश्चात पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंट कर तात्कालिक विषयों पर विशद चर्चा की।
पूज्य स्वामी जी ने श्री सुबेदी जी से श्री पशुपतिनाथ जी के आस-पास के क्षेत्र में परमार्थ निकेतन द्वारा ग्यारह हजार रूद्राक्ष के पौधों का रोपण कर रूद्राक्ष वन लगाने हेतु विस्तार से चर्चा की। साथ ही श्री पशुपतिनाथ क्षेत्र में ग्रीन क्रिमेटोरियम बनाने पर भी विचार विमर्श हुआ। पूज्य स्वामी जी ने वर्ष 1998 की श्री पशुपतिनाथ जी की यात्रा को याद करते हुये कहा कि पशुपतिनाथ क्षेत्र में परमार्थ निकेतन द्वारा बागमती नदी के तट पर भव्य और दिव्य आरती का क्रम आरम्भ हुआ था उस दिन पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं में दिव्य आरती में सहभाग किया था। तब से लेकर अब तक वहां पर निरंतर आरती हो रही है। यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता होती है। इसी तरह से भारत, नेपाल सहित अन्य देेशों में भी नदियों के तटों पर आरती होती रहे तो जीवनदायिनी नदियों का संरक्षण होगा।
श्री जगन्नाथ पुरी धाम में वर्ष में एक बार रथयात्रा का दिव्य विधान है। रथ पर आरूढ़ हो भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर में वार्षिक भ्रमण पर जाते हैं और वहीं पन्द्रह दिन निवास कर नीलाचंल क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। श्रीजगन्नाथ जी की रथ यात्रा के विषय में कहा गया है कि - ‘रथे चागमनं दृष्ट्वा पुनर्जन्म न विद्यते’। प्रभु जगन्नाथ जी की इस दिव्य मधुर महोत्सव को नमन और सभी भक्तों को रथयात्रा की शुभकामनायें।
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