ग़ज़ल
सोया हुआ नसीब जगाया न जा सका।
फिर भी खुदा से अपना भरोसा न जा सका।।
दिन-रात मांगते रहे जिसके लिए दुआ।
वो एक लम्हा हमसे कमाया न जा सका।
किससे करें गिला कि हमें वो नहीं मिला।
जिसके लिए खुदा से भी बोला न जा सका।।
उस एक पल का जिक्र भी हमसे न कीजिए।
वो एक पल जो हमसे गुजारा न जा सका।
उम्मीद से बहुत कुछ जियादा मिला हमें।
इतना मिला हमें कि संभाला न जा सका।।
ऐसी चली हवा कि वो आंखों के सामने।
कुछ इस तरह से बिखरा समेटा न जा सका।।
सरहद पर कर रहे थे हिफाजत जो मुल्क की।
ईनाम से उन्हें ही नवाजा न जा सका।।
वो ख्वाब रात-दिन ही सताता रहा हमें।
वो एक ख्वाब हमसे जो देखा न जा सका।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094
No comments:
Post a Comment