शिक्षाविद डॉक्टर वाचस्पति मैथानी की स्मृति में आयोजित की गई विभिन्न संस्कृत प्रतियोगिताएं




भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा

हरिद्वार 28 अगस्त (विजय त्यागी )    शिक्षाविद् डॉ. वाचस्पति मैठाणी जी की स्मृति में 72वीं जयन्ती पर विभिन्न संस्कृत प्रतियोगिताओं के साथ-साथ संस्कृत सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। उत्तराखण्ड राज्य में संस्कृत की वर्तमान व मजबूत स्थिति के लिए डॉ. वाचस्पति मैठाणी जी का योगदान अविस्मरणीय है। बी.डी.इ.का. भगवानपुर, हरिद्वार ने भी संस्कृत सप्ताह के आयोजन के साथ-साथ संस्कृत शिक्षाविद् डॉ. मैठाणी जी की स्मृति में संस्कृत गीतगायन प्रतियोगिता, संस्कृत श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता तथा संस्कृत सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन करके छात्र-छात्राओं में संस्कारों का उद्दीपन तथा पल्लवन किया।

संस्कृत सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन विद्यालय स्तर पर डॉ. विजय विद्यालय एवं श्रीमती कल्पना सैनी के संयोजन में किया गया, जिसके परिणाम स्वरूप अखिल भारतीय स्तर पर बी.डी.इ.का भगवानपुर, हरिद्वार की ओर से जूनियर वर्ग (कक्षा 6-8) तक तीन छात्राओं (अलशिफा, प्रियंका सैनी तथा खुशी) ने प्रतिभाग कर 10 में से 9 अंक प्राप्त किये। साथ ही वरिष्ठ वर्ग (कक्षा 9-12) में आँचल, संदीप मण्डल, रिया, रितिक, शैलेंद्र, सना, मोहिनी, उवेश, आयुष सैनी, अभिषेक गौतम, सानिया अंसारी, शिवम सैनी, हर्षित, अभिषेक, श्याम, प्रिया प्रजेश आदि 21 विद्यार्थियों ने अखिल भारतीय संस्कृत ज्ञान प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया जिसमें उवेश, रितिक, श्याम तथा हर्षित ने 10 में से 10 अंक प्राप्त किये।

प्रधानाचार्य श्री संजय गर्ग ने कहा कि प्रतियोगिताएँ छात्रों के जीवन में अनेक आयाम जोड़ती हैं, इस सप्ताह छात्र-छात्रों में संस्कृत की विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से संस्कारों के साथ-साथ अपने ज्ञान को भी बढ़ाया। डॉ. विजय कुमार त्यागी ने कहा कि संस्कृत भाषा संस्कारों की जननी, समस्त भाषाओं की जननी तथा भारतीय संस्कृति को गौरव को बढ़ाने वाली है। इन प्रतियोगिताओं में विशेष बात यह है कि विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ-साथ समाज के लिए समर्पित शिक्षाविद्, उत्तराखण्ड के तत्कालीन संस्कृत शिक्षा निदेशक की जयन्ती के शुभ अवसर पर उनकी स्मृति में संस्कारों के पल्लवन का विशेष तरीका है। श्रीमती कल्पना सैनी ने कहा कि उत्तराखण्ड की द्वितीय राजभाषा होने के कारण भी संस्कृत प्रतियोगिता का आयोजन संस्कृत के लिए समर्पित एवं सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले विशिष्ट व्यक्तित्वों को याद करने के लिए अनिवार्य एवं महत्त्वपूर्ण है। सामाजिक विज्ञान के सहायकाध्यापक श्री रजत बहुखण्डी ने कहा की दुनिया के सामान्य ज्ञान में सर्वोत्तम अध्ययन सामग्री संस्कृत वाङ्मय में उपलब्ध है, हमें इसका अध्ययन निरन्तर करना चाहिए।

इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक संजय पाल, ललिता देवी, पारुल शर्मा, अनुदीप, निखिल अग्रवाल, नेत्रपाल, रजत बहुखण्डी, ऋतु वर्मा, अर्चना पाल, संगीता गुप्ता, जुल्फुकार तथा शिक्षकेतर कर्मचारियों ने उपस्थित रहकर छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित किया।

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