भारत से प्रदूषण, गंदगी दूर करने का ले संकल्प



🔴 *भारत छोड़ो आंदोलन की 79 वीं वर्षगाँठ पर विशेष*


*ऋषिकेश, 8 अगस्त (अमरेश दूबे संवाददाता गोविंद कृपा ऋषिकेश) 


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भारत छोड़ो आंदोलन की 79 वीं वर्षगाँठ पर अपने संदेश में कहा कि यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण आंदोलन था, जिसमें लगभग सभी भारतवासियों ने एक साथ आकर सहभाग किया था। वह समय भारतीय स्वतंत्रता के प्रति जागरूक होने का था। वर्तमान समय में भी सभी भारतीयों को अपने पर्यावरण के प्रति जागरूक होना होगा क्योंकि प्रदूषित होता पर्यावरण चितंन का विषय है। 

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन का इतिहास हमारे लिये प्रेरणा का स्रोत है। यह समय अपने देश के प्रति समर्पण की भावना को पुनर्जीवित करने का है। हम सभी भारतीय ‘करो या मरो’ के सूत्र को आत्मसात कर आगे बढ़ते रहें ताकि भारत वर्ष 2022 तक ‘न्यू इंडिया’ बनने के लक्ष्य को प्राप्त कर सके। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहां पर हम न्यू इंडिया की संकल्पना को साकार कर सकते है, परन्तु इसके लिये सभी भारतीयों को कुछ इनिशिएटिव लेना होगा और सृजन की ओर बढ़ना होगा। 

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि इस समय पर्यावरण प्रदूषण एक वैश्विक समस्या हैं, इसके लिये प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली को अपना अंग बनाना होगा। आन्तरिक और बाहरी स्वच्छता को अंगीकार करना होगा। वास्तव में देखा जाये तो स्वच्छता तो भारत के जीन्स में; भारत के डीएनए में ही विद्यमान है। बस जरूरत है तो उसे स्वीकार और आत्मसात करने की। 

हम सभी को मिलकर 4 पी प्रोग्राम पीपल्स, प्लानेट, पार्टनरशिप और प्रोस्पेरिटी के लिये कार्य करना होगा। अभी तक हम ग्रीड के लिये जी रहे थे, अब हमें ग्रीड कल्चर से नीड कल्चर, ग्रीड कल्चर से ग्रीन कल्चर, नीड कल्चर से नये कल्चर, यूज एंड थ्रो कल्चर से यूज एंड ग्रो कल्चर की ओर बढ़ना होगा। बी आर्गेनिक, बाय आर्गेनिक, बाय लोकल, बी वोकल फाॅर लोकल, हमें अर्गेनिक  और लोकल उत्पादों पर, फोकस करना होगा। साथ ही ग्रीन फार्मिग, आर्गेनिक फार्मिग, जैविक खेती को अपनाना होगा। ग्रीड कल्चर और यूज एंड थ्रो कल्चर बदलेगा तो ही प्रदूषण रूकेगा। साथ ही हमें प्रापर वेस्ट मैनेजमेंट पर भी ध्यान देना होगा और ग्रीन इन्डस्ट्रीज पर कार्य करना होगा।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि हम स्वच्छता को जीवन का अंग बना सकते हैं। हम में से कई लोग रोज टहलने जाते हैं। बाजार से कुछ खरीदने के लिये जाते है या किसी से मिलने के लिये जाते है ऐसे समय में हम एक झोला लेकर निकले और रास्ते में पड़े प्लास्टिक, चिप्स का पैकेट, बाटल्स, कैन आदि को उठाकर अपने झोले में डालकर जहां पर कूड़ेदान मिले उसमें डाल दें, हमें यह संस्कृति विकसित करनी होगी तभी हम न्यू इन्डिया की संकल्पना को साकार कर सकते है।

आईये आज भारत छोड़ो आंदोलन की 79 वीं वर्षगाँठ पर स्वच्छता और प्रदूषण मुक्त भारत के लिये ’करो या मरो’ के सूत्र को आत्मसात कर आगे बढ़ते रहेंगे।



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