पंडित दीनदयाल उपाध्याय हैं भाजपा की नीव के पत्थर



मोहन भागवत जी ने एक बात कही थी कि अगर #बीजेपी जलकर #भस्म भी होजाए तो भी बीजेपी पुनः अपनी #राख से उठ खड़ी होजाएगी ,उनके इस शब्द में बहुत कुछ छुपा था पर मेरी नजर में सायद वो बीजेपी की मजबूत वैचारिक समर्पित नींव की तासीर की ओर इशारा कर रहे थे।..दीनदयाल जी उपाध्याय उत्तरप्रदेश में आरएसएस के प्रान्त  प्रचारक थे उन्हें संघ के द्वितीय सरसंघचाक गुरु जी ने बुलाया और कहा की दीनदयाल जी अब आपको जनसंघ(वर्तमानबीजेपी) राजनिति का काम देखना हे ये सुनकर दीनदयाल जी असहज होगए और गुरु जी से निवेदन किया की गुरु जी में राजनितिक जीवन नही जी सकता मेरी वृति मुझे राजनीती करने की अनुमति नही देती  और मुझे राजनीती अच्छी नही लगती इस लिए में निवेदन करता हु ।आप मुझे ये काम न सोपे ।तब गुरु जी का उत्तर था जिस दिन तुम्हे राजनीती अच्छी लगने लग जाएगी उस दिन तुम्हे में वापिस बुलालुंगा ।बस उसी दिन से दीनदयाल जी अपनी दो जोड़ धोती कुर्ते लेकर राष्ट्रवादी राजनीती की नीव में खुद पत्थर बनने चले गए नेहरू केबिनेट के हिन्दू विरोध से दुखी होकर निकले स्यामा प्रसाद मुखर्जी को लेकर भारत को एक राष्ट्र्वादी दल जनसंघ बीजेपी के निर्माण में, खुद को तिल तिल गलाकर जीवन खपा कर बीजेपी जैसे दल का निर्माण कर गए जो आज हर देशद्रोही चुनोतियो से लड़ रही है।और आज उस नीव पे ही बीजेपी जेसा महल खड़ा हे ।पूरा जीवन सादा जीवन दो जोड़ कपड़े में जनसंघ का अध्यक्ष फटी धोती पेदल साइकल  चने भूंगडे खाकर वामपंथ कोंग्रेस और मुस्लिम लीग से लड़ता रहा ऎसे थे दीनदयाल उपाध्याय जी  जो अपनी हड्डिया तक गला गए राष्ट्र निर्माण में।

बीजेपी की नींव में जो दधिची यो की हड्डियां है उनका तप इतना है कि कोई इस राष्ट्र्वादी भवन को जला नही सकता। ऐसी कार्यपद्धति ओर राष्ट्र विचारों से युक्त राष्ट्र्वादी संगठन खड़ा कर के गए है #दिनदयाल जी जैसे दधीचि।

दीनदयाल जी के जन्मदिवस के अवसर पर सादर नमन

जय मां भारती

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