वर्तमान दौर में शिक्षक दिवस

 शिक्षक दिवस एवं वर्तमान समीकरण


वर्तमान परिवेश में शिक्षक दिवस मनाने के तौर तरीके भी धीरे-धीरे बदलते जा रहे हैं l यदि हम आज से 20 -25 साल पहले के शिक्षक दिवस के बारे में सोचें तो मुझे याद हैl 1 सितंबर से बच्चों के मन में यह विचार आ जाता था कि उसको किस प्रकार अपने शिक्षक को सम्मानित करना है साधारण उस समय आर्थिक परिस्थितियां ज्यादा अनुकूल नहीं होती थीl बच्चे अपनी सामर्थ्य अनुसार टीचर को अपने प्रेम से ओतप्रोत कुछ ना कुछ भेंट करते थेl जिसमे मुख्य रूप से पेन व फूल हुआ करते थेl

उस दिन की सबसे बड़ी बात यह होती थी की बड़ी कक्षा के  बच्चे अपने से छोटी कक्षा के बच्चों को पढ़ाया करते थेl प्रार्थना सभा में सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जीवन परिचय के बारे में बच्चों को बताया जाता था ताकि उन्हें शिक्षक दिवस के महत्व का पता चल सकेl

आज भी कुछ स्कूलों में शिक्षक दिवस को विधिवत ढंग से मनाया जाता है परंतु अधिकांशत पश्चिमी सभ्यता से ओतप्रोत स्कूलों में शिक्षक दिवस मात्र एक औपचारिकता रह गया है 

आज के डिजिटल युग में विभिन्न सोशल माध्यमों से बच्चों द्वारा अपने अध्यापकों को शिक्षक दिवस की बधाई दी जाती हैl

वर्तमान परिवेश में यह अति आवश्यक हो गया है कि हम अपने बच्चों को अपनी संस्कृति एवं संस्कारों की ओर ले जाएं उन्हें शिक्षक दिवस के महत्व व शिक्षक का उनके जीवन में क्या योगदान होता है, जो कि वह जानते हैं, उन्हें भारतीय संस्कृति के अनुसार मनाने की आवश्यकता हैl

मुझे आज भी अच्छी तरह से याद है जब हम अपने शिक्षकों की चरण वंदना करने के पश्चात उन्हें अपने मनपसंद का फूल भेंट करते थे तो वह सबसे पहले हमसे एक प्रश्न पूछते थे कि क्या आपने प्रातः काल अपनी माता पिता के चरण छुए, क्योंकि आपके पहले शिक्षक वे हैंl

आज शिक्षक दिवस के अवसर पर लोहानी क्लासेस के छात्रों ने अपनी भारतीय पद्धति के अनुसार अपने शिक्षक जो कि उनके हम उम्र हैं उन्हें भैया कहकर संबोधन करते हैं, का सम्मान किया और भविष्य में आगे बढ़ने हेतु विचार विमर्श कियाl भारतीय संस्कृति के अनुरूप जलपान ग्रहण करके उत्साह का माहौल उत्पन्न कियाl

 (अनिल लोहानी वरिष्ठ संवाददाता गोविंद कृपा रुड़की की कलम से)



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