काव्य धारा


 उनकी आहट जब भी आती है दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती है,

साहब!बिछड़न, दूरियाँ, दुःश्वारियों की पहाडियाँ सब स्वतः दूर हो जाती है,

प्रेम जिस्म का मिलन नही आत्मा से आत्मा मिल जाती है,

ह्रदय -विच्छेद होकर भी नित आशा की झोपड़ी बुन जाती है।।©विjयोति....

विजय उपाध्याय (विजय) 

2 comments:

Unknown said...

बहुत सुंदर लेखन

laxmi prasad said...

शानदार

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