ईश्वर की कृपा का प्रतिफल है पति-पत्नी के जीवन में आने वाला नन्हा शिशु



माता पिता  बनना  न्जीवन का एक सुखद एहसास और समाज के प्रति हमारी एक जिम्मेदारी भी है जिससे आजकल की युवा पीढ़ी बचती हुई दिखाई देती है उनके लिए सिर्फ अपना केरियर बनाना ही महत्वपूर्ण है इसके लिए वह माता पिता बनने से बचते रहते हैं  सिर्फ कहने भर को संतान का जन्म है पर उसके साथ साथ जन्म होता है माता पिता का,

बच्चे के दुनिया मे आने से भी पहले उस खबर के साथ जब पता चलता है कि वो माता पिता बनने वाले हैं !! 


कितने उतार चढ़ावों से भरा सफर तय करना पड़ता है।सबकी तरह हमारी जिंदगी में भी ऐसे कितने ही परिवर्तन हुए जिन्होंने पति पत्नी से अचानक माता पिता बना दिया। 


●बाइक चलाने वाले लड़के का गाड़ी खरीदने के लिये बचत करना, 

●दिन भर उछल कूद करने वाली, किचन की स्लैब से छलांग लगाने वाली लड़की एक एक कदम संभल कर रखना। 

●मेरा मंगवाया सामान हमेशा भूल जाने वाले पति का एक बार कहते ही चीजें हाजिर करना,

●बात बात पर लड़ने वाले कपल का लड़ाई अवॉयड करना,

●वेब सीरीज छोड़कर रामचरितमानस पढ़ना।

कितना खूबसूरत एहसास है 

●हर रेगुलर चेकअप के समय डॉक्टर से पूछना कि बेबी मूवमेंट करना कब शुरू करेगा। 

●मूवमेंट होने वाले महीनों में आधे आधे घण्टे तक पेट पर हाथ रखे रहना ताकि मौका हाथ से न चूक जाए।

●एक एक दिन गिन गिन कर काटना, 

●सोनोग्राफी की धुँधली तस्वीरों में आकृति देखने की कोशिश करना, 

●पेट पर हाथ लगा लगाकर अंदाजा लगाना यहाँ बच्चे का हाथ है यहाँ पैर। 

●ज्यादातर साइलेंट मोड पर फोन रखने वाले लापरवाह लड़के का लास्ट के महीनों में इतना अलर्ट रहना कहीं कोई मिस कॉल ना आयी हो। 


■डिलिवरी का टाइम जितना माँ के लिये मुश्किल है उससे ज्यादा लेबर रूम के बाहर खड़े पिता के लिये है जिसके होंठ लगातार महामृत्युंजय मंत्र का  जाप कर रहें हों। 

वो मेरी जिन्दगी के सबसे खूबसूरत पलों में से एक था जब नर्स ने बेबी को मेरे हाथ मे दिया और मैं फिर भी उससे हैरानी से पूछ रही थी ये सच मे मेरा बेबी है ना!! 


और मेरे पति जिन्होंने इतने महीने इस पल का इंतजार किया वो बच्चे को उठाने से घबरा रहे थे कहीं उसे कोई चोट न लग जाए। मम्मी की गोद मे ही दूर से देखकर खुश हो रहे थे। 

जितना प्यारा सफर बच्चे के दुनिया मे आने तक था उससे ज्यादा प्यारा एहसास उसके दुनिया मे आने के बाद से शुरू हुआ। 

◆उसकी एक एक एक्टिविटी नोटिस करते रहना, 

◆उसके ज्यादा  रोने से खुद रोने लगे जाना,

◆जरा सा कुछ ठीक न लगने पर डॉक्टर के पास भागना,

◆घण्टो उसे सोते हुए निहारते रहना। 


मां अपने सारे  दर्द, सारी परेशानियां तब भूल जाती हैं जब बच्चा थोड़ा स्टेबल हो जाता है, आपको पहचानने लगता है और देखकर मुस्कराने लगता है। सच पूछो तो यही जिंदगी का एक सुखद एहसास है जिसके लिए पति और पत्नी को भगवान ने एक दूसरे का पूरक बनाकर संसार में भेजा है आने वाला बच्चा दो अनजाने लोगों के बीच ऐसा बंधन बांधता है जो कई नए रिश्ते लेकर आता है जैसे दादा दादी नाना नानी आदि। वह बच्चे के आने पर जहां हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है वही समाज में हमारी अलग छवि  भी अलग दिखाई देने लगती है।



 

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