वन्यजीवों की रक्षा में अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले वन कर्मियों को समर्पित है वन शहीद दिवस :- स्वामी चिदानंद मुनि


🟢 *वन शहीदों को भावभीनी श्रद्धाजंलि*

 *ऋषिकेश, 11 सितंबर।*( अमरेश दुबे संवाददाता गोविंद कृपा ऋषिकेश )परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने आज राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के अवसर पर वन शहीदों को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि वनसुरक्षा हेतु अपनी सेवायें देने वाले तथा वन्यजीवों के बीच अक्सर टकराव व संघर्ष लगातार चलते रहा है, जिसके कारण कई वनकर्मी शहीद हो जाते है, आज का दिन उन शहीदों को याद करने का दिन है, जिन्होंने वन और वन्य प्राणियों की रक्षा के लिये अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि वर्तमान समय में अवैज्ञानिक विकास के कारण बहुमूल्य वन सम्पदा और वन्यजीव नष्ट हो रहे है। वन्य प्राणियों का शिकार हो रहा है। मानव एवं वन्यजीवों के बीच चल रहे संघर्ष ने कई प्रजातियों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। इस समय वैश्विक स्तर पर जनसंख्या वृद्धि हो रही है, आबादी का बढ़ता दबाव वन्यजीवों के लिये परेशानी बनता जा रहा है जिसके कारण भी मनुष्य और वन्य प्राणियों के बीच संघर्ष बढ़ता जा रहा है। वैश्विक स्तर पर जंगल कम हो रहे हैं और वन्यजीवों के रहने के प्राकृतिक आवास में लगातार कमी आ रही है यह अत्यंत चिंताजनक है। 

वन विशेषज्ञों के अनुसार, मानवजनित अथवा प्राकृतिक परिस्थितियाँ के कारण वन्यजीवों और मानव के बीच संघर्ष बढ़ रहा है। मनुष्य अपनी आवश्यकताओं के लिये वनों का अंधाधुंध विनाश कर रहा है जिसके कारण वनकर्मियों की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि वन और वन्यजीव संरक्षण अत्यंत आवश्यक है साथ ही एक पर्यावरणीय अनिवार्यता भी है। जब तक जंगल कटते रहेंगे तब तक मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोका नहीं जा सकता। इन संघर्षो को टालने का सबसे बेहतर विकल्प है पर्यावरण के अनुकूल विकास जिससे सब का जीवन चलता रहे ताकि मनुष्य व वन्यजीव दोनों ही सुरक्षित रहें।


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