परमानंद आश्रम और बड़ा अखाड़ा उदासीन के विवाद में परमानंद आश्रम ट्रस्ट को उच्च न्यायालय से मिला स्टे ।
बडा अखाड़ा उदासीन ने राम शंकर आश्रम में हाई कोर्ट के स्टे को धत्ता बताते हुए परमानंद आश्रम के नए महंत के रूप में या संत का पट्टाभिषेक
हरिद्वार 27 सितंबर( संजय वर्मा) बड़ा अखाड़ा उदासीन और श्रवण नाथ नगर स्थित स्वामी परमानंद आश्रम ट्रस्ट के विवाद का मामला हाई कोर्ट नैनीताल तक पहुंच गया है जहां से परमानंद आश्रम ट्रस्ट को यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के साथ कोर्ट के आदेश से सुरक्षा व्यवस्था भी मिल गई है स्वामी परमानंद आश्रम के प्रबंधक शंकर पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि बड़ा अखाड़ा उदासीन से संबंध एक संस्था हमारे आश्रम पर कब्जा करना चाहती है जिसके खिलाफ हमारा ट्रस्ट उच्च न्यायालय नैनीताल पहुंचा और वहां से यथास्थिति बनाए रखने का आदेश प्राप्त हो गया है साथ साथ ही आश्रम पर कोई कब्जा ना करें इसके लिए पुलिस को भी आदेशित किया गया है यहां यह बताते चलें विगत 50 वर्षों से परमानंद आश्रम ट्रस्ट के द्वारा संचालित हो रहा है जिस पर अब बड़ा अखाड़ा उदासीन से संबद्ध कुछ संत कब्जा करना चाहते हैं जिसका स्वामी परमानंद आश्रम आश्रम ट्रस्ट के ट्रस्टयो एवं प्रबंधक ने विरोध किया बड़ा अखाड़ा उदासीन के पंच परमेश्वर के श्रीमहंत महेश्वर दासके पासजाकर परमानंद आश्रम ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं सदस्यों नेअपना पक्ष रखा जिस पर वह सहमत भी हो गए लेकिन कुछ अन्य लोग स्वार्थवश स्वामी परमानंद आश्रम पर किसी और व्यक्ति को महंत बनाकर बिठाने के लिए साजिश रच रहे हैं उन्होंने श्री महंत महेश्वर दास पर दबाव डालकर स्वामी परमानंद आश्रम पर कब्जा करने का प्रयास किया जिसे विफल कर दिया गया है।आश्रम की सुरक्षाके लिए उच्च न्यायालय नैनीताल की शरण ली गई और वहां से यथास्थिति बनाए रखने का आदेश प्राप्त कर लिया है यहां यह बताते चलें कि हरिद्वार के 75 परसेंटआश्रमों का संचालन ट्रस्टों के द्वारा किया जा रहा है ,जहां के संस्थापक ब्रह्मलीन हो चुके हैं ऐसी स्थिति मेंशेष संस्थाओं का क्या होगा यह यक्ष प्रश्न है? शंकर पांडेने कहा कि इस प्रकार तो पूरे शहर मे दूसरे लोग आकर संस्थाओ और आश्रमों पर महतं बनकर कब्जा कर लेंगे। यह बड़ी ही चिंता का विषय है बड़ा अखाड़ा उदासीन को अपने इस कृत्य पर विचार करना चाहिए और एक गलत परंपरा डालने की प्रयास से बचना चाहिए।
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