शायरों की महफिल


 देहरादूनः मुज़फ्फ़रनगर के मशहूर शायर जनाब तहसीन क़मर साहब के सम्मान में एक शे'री नशिस्त का आयोजन जनाब  इक़बाल 'आज़र ' के टर्नर रोड देहरादून स्थित आवास पर किया गया। नशिस्त का संचालन खतोली के मशहूरो-मारूफ़ शायर परवेज़ गाज़ी ने किया।आयोजन में सम्मिलित शायरों ने अपने कलाम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

           जनाब इक़बाल 'आज़र ' की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम  का आगाज़ अमजद खान अमजद ने नातिया कलाम से किया। उनके बाद आरिफ़ दूनवी ने पढ़ा-

 ''आँखों को मेरी अश्क बहाने नहीं आते, 

जो ज़ख्म हैं सीने में दिखाने नहीं आते"

  सम्मानित शायर तहसीन क़मर ने पढ़ा -

" मैं कब सारा ज़माना चाहता हूँ 

तुझे अपना बनाना चाहता हूँ 

तेरी इन झील सी आँखों में दिलबर 

मैं बस अब डूब जाना चाहता हूँ "

परवेज़ गाज़ी ने कुछ यूँ कहा-

"अहले दानिश की निगाहों में वही ज़िंदा है

जिसके एहसास के पैकर में खुदी ज़िंदा है

वक़्त ने छीन लिया सारा असासा हमसे

हम फ़क़ीरों में मगर शाहदिली ज़िंदा है"

मुज़फ्फ़र नगर के मशहूर शायर अरशद ज़िया ने अपने कलाम से सबका दिल जीत लिया उन्होंने पढ़ा- 

"तलब के सामने हावी रहीं खुद्दारियां मेरी

मेरी राहों में दरिया थे मगर प्यासा निकल आया"

दानिश देहल्वी ने पढ़ा-

"बिखरे हुए उजालों को यक्जा किये बगैर

हम बुझ गए किसी की तमन्ना किये बगैर"

नेहटौर से आए शायर जनाब बदरुद्दीन ज़िया नेहटौरवी ने कहा-

"आईने को भी कुछ पता न चले

इस रविश से निकालिये आंसू"

अमजद खान अमजद ने पढ़ा-

"ज़माने में ज़माने का वही सरदार होता है

जिसे कमज़ोर लोगों से हमेशा प्यार होता है"

अपने अध्यक्षीय भाषण से पूर्व इक़बाल 'आज़र ' ने अपना कलाम कुछ यूँ सुनाया-

"कोई भी दिल के बहलाने का पहलू ढूँढ लेती है

तलब कागज़ के फूलों में भी खुशबू ढूँढ लेती है

ज़माना मुस्कराने की जहाँ तारीफ़ करता हो

वहाँ भी दोस्ती आँखों में आंसू ढूँढ लेती है।"

1 comment:

Post a Comment

Featured Post

पूर्व कैबिनेट मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने पहाडो, से पलायन पर प्रकट की चिंता

  2019 के भू संशोधन कानून ने बहुत बडे पैमाने पर भूमि विक्रय और अधिग्रहण को बढ़ावा दिया है– नैथानी  दिल्ली में प्रवासियों को अपने बंजर खेतों ...