फिल्म तीसरी कसम और शलेंद्र





 सजन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है नहाती है ना घोड़ा है वहां पैदल ही जाना है 

याद आया आपको यह गीत क्या आध्यात्मिकता से जुड़ा गीत जिंदगी की सच्चाई को पेश करता हुआ  था । महान गीतकार शैलेंद्र की  लेखनी से निकाला था यह अमर गीत जो आज भी जीवन की क्षण भंगुरता को निरूपित करता हुआ जीवन में सच्चाई धर्म-कर्म और प्रेम की शिक्षा देता हुआ दिखाई देता है आज बात करते हैं1966 में बनी अमर फिल्म "तीसरी कसम "की यूं तो हम शैलेंद्र को गीतकार के रूप में ही जानते हैंलेकिन उन्होंने अपनी जिंदगी में एक मात्र फिल्म तीसरी कसम का निर्माण भी किया था जो उनके जिंदगी की पहली और आखिरी फिल्म  बन कर रह गई उन्होंने अपनी जिंदगी भर की पूंजी इस फिल्म में लगादी  थी जो बाद में उनकी अकाल मृत्यु का कारण बनी  फिल्म अपने समय की सुपर डुपर हिट फिल्म थी।  इस के गाने आज भी लोगों की जुबान से सुने जा सकते हैं राज कपूर, वहीदा रहमान पर फिल्माई गई फिल्म तीसरी कसम का  सुंदर पिक्चराइजेशन शैलेंद्र ने किया था जिसमें ग्रामीण परिवेश का बड़ा ही सजीव फिल्मांकन किया गया था वह फिल्म की सफलता का आधार बना उस पर मुकेश की आवाज में दर्द भरे गीत आज भी श्रोताओं को भाव विभोर कर देते हैं भारत सरकार ने 2013 शैलेंद्र की स्मृति में डाक टिकट जारी कर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी ।  शैलेंद्र वास्तव में तो एक गीतकार थे ,जिन्हें राज कपूर फिल्मी दुनिया में लेकर आए थे लेकिन उन्होंने कम समय में इस फिल्म इंडस्ट्री को एक से एक गीत देकर अपना वह मुकाम बना लिया था जो आज तक शायद किसी को नहीं मिला उस समय राज कपूर की फिल्म और शैलेंद्र के गीत फिल्म की सफलता की गारंटी हुआ करते थे राज कपूर की अधिकतर फिल्मों के गीत शैलेंद्र ने  हीं लिखे थे लेकिन यहां यह भी बताते चलें कि शैलेंद्र की विफलता में राज कपूर का ही बड़ा हाथ था।    यह बात उन दिनों की है जब शैलेंद्र फिल्म तीसरी कसम बना रहे थे सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन जो फिल्म 1 साल में पूरी होनी थी उस फिल्म को बनने में 5 साल लग गए जिससे फिल्म का बजट बढ़ता चला गया और शैलेंद्र कर्ज के गर्त में डूबते चले गए  , आखिर इस कर्ज के बोझ के तले दबे हुए शैलेंद्र 45 साल की उम्र में इस निष्ठुर दुनिया से विदा हो गये जो सिर्फ अपने मतलब के लिए लोगों का इस्तेमाल करती है और मतलब निकल जाने के बाद पीछे मुड़कर देखती भी नहीं है। इसका उदाहरण शैलेंद्र की जिंदगी में राज कपूर से बड़ा कोई नहीं हो सकता । शैलेंद्र को बर्बाद करने  का कारण राज कपूर ही थे वह राज कपूर जिसकी फिल्म हिट करवाने में शैलेंद्र के गीत आधार हुआ करते थे ।शैलेंद्र को फिल्म तीसरी कसम मे राज कपूर ने डेट देने मे इतना तंग किया की फिल्म अधूरी रह गई और  बड़ी कोशिशों के बाद फिल्म पूरी हुई 5 साल का समय लग गया इस तीसरी कसम फिल्म को बनने में  फिल्म का बजट बेतहाशा बढ़ चुका था राज कपूर की तंगदिली  के कारण इस फिल्म का बनना मुश्किल हो गया था ।यह शैलेंद्र के जीवन की  पहली और आखरी गलती  थी और इसके बाद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्रीज को अलविदा कह दिया।

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