क्षमा वीरो का आभूषण है





🔴 *विश्व भाईचारा एवं क्षमादान दिवस*


💥 *क्षमा न केवल दूसरों के लिये बल्कि स्वयं के घाव भरने की भी सबसे उत्तम औषधि - पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज*


*ऋषिकेश, 13 सितम्बर।* ( अमरेश दुबे संवाददाता गोविंद कृपा ऋषिकेश)   विश्व भाईचारा एवं क्षमादान दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने विदेश से भेजे अपने संदेश में कहा कि क्षमा करना किसी भी दर्द से उबरने का सबसे आसान ईलाज है। जब किसी के द्वारा चोट पहुँचायी जाती है तो उसके बाद अक्सर क्रोध व दर्द का अनुभव होता है और वह दर्द तब तक रहता है जब तक आप संबंधित व्यक्ति को क्षमा न कर दें, क्षमा न केवल दूसरों के लिये बल्कि स्वयं के घाव भरने के लिये भी सबसे उत्तम औषधि है।

समानता, क्षमा और बंधुत्व के विचारों ने 19 वीं सदी में भारतीय समाज के पुनर्जागरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इससे न केवल भारतीय समाज जागृत हुआ, बल्कि राष्ट्रवाद की भावना का भी प्रसार हुआ। एक मजबूत ‘राष्ट्र और शान्तिप्रिय विश्व’ के लिये ‘बंधुत्व’ एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है जो केवल भारत जैसे  विविधता वाले राष्ट्र के हिी नहीं बल्कि पूरे विश्व को एकता सूत्र में बांधे रख सकता है तथा समानता और स्वतंत्रता की जड़ों को और मजबूत कर सकता है।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि “जैसे विभिन्न धाराएँ, विभिन्न दिशाओं से बहते हुए एक ही समुद्र में आकर मिलती हैं, वैसे ही हम सभी वैश्विक स्तर पर चाहे अलग-अलग प्रतीत होते हों परन्तु सभी एक ही सर्वशक्तिमान ईश्वर की सन्तानें है और सभी मार्ग हमें एक ही ओर ले जाते हैं। वेदों में उल्लेखित “वसुधैव कुटुंबकम” का संदेश हमें यही शिक्षा देता है कि पूरा विश्व एक ही परिवार के सदस्य हैं।”

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि दूसरों को क्षमा करने से तात्पर्य करुणा के अभ्यास के माध्यम से स्वयं को और दूसरों को पीड़ा से मुक्त करना है, साथ ही यह भी पहचानना कि किसी और के द्वारा हमारे पास लाया गया दर्द उसकी अपनी गहरी पीड़ा से उपजा है। जो दूसरों को पीड़ित करते हैं, वे स्वयं भी पीड़ा के शिकार होते हैं परन्तु यह भी ध्यान रखना होगा कि किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार व हिंसा उचित नहीं है। पीड़ा से उत्पन्न होने वाली पीड़ा, क्षमा करने की प्रक्रिया को आसान बनाने में भी मदद करती है, जिससे धीरे-धीरे क्षमा करने वाले को आध्यात्मिक और भावनात्मक शक्ति और शान्ति भी प्राप्त होती है। 

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि आज का दिन हमें यह शिक्षा देता है कि क्षमा को एक प्रक्रिया के रूप में स्वीकार करे। पीड़ा से उत्पन्न दर्द का शमन करने के लिये  कभी तो बहुत कम समय लगता है और कभी-कभी इससे उबरने के लिये जीवन भर का समय लग जाता है इसलिये आहत होने वाला व्यक्ति जितनी जल्दी क्षमा कर दे वही बेहतर है। क्षमा एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति के लिए अद्वितीय है, और इससे सार्वभौमिक स्तर पर भी बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।



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