परम वंदनीय माता भगवती देवी के जन्मदिवस पर शांतिकुंज ने निकाली युग साहित्य यात्रा

 युगसाहित्य में समस्याओं का समाधान निहित ः डॉ पण्ड्या

शांतिकुंज में सद्ग्रंथ स्थापना के लिए निकली भव्य शोभायात्रा

महाशक्ति की लोकयात्रा आडियो बुक का विमोचन


हरिद्वार १९ सितंबर( अमर शदाणी संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार)

सन् २०२१ गायत्री तीर्थ शांतिकुंज का स्थापना का स्वर्ण जयंती वर्ष है। इस वर्ष गायत्री तीर्थ विभिन्न रचनात्मक आंदोलन चला रहा है। अपने आराध्यदेव माता भगवती देवी शर्मा जी के ९५वें जन्मदिवस के अवसर पर रविवार को सद्गुरु ज्ञानगंगा सद्गं्रथ स्थापना के क्रम में भव्य शोभायात्रा निकाली गयी। शोभायात्रा में सिर पर युग साहित्य धारण किये आश्रमवासी कार्यकर्त्ता तथा विभिन्न साधना शिविरों में आये साधकों ने भाग लिया।

शोभायात्रा गायत्री परिवार के जनक युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्यश्री एवं माता भगवती देवी शर्मा की पावन समाधि से साहित्यों के पूजन के साथ प्रारंभ हुई। शोभायात्रा की अग्रिम पंक्ति में शंख, मंजिरा, ढपली, बैंड के साथ सुमधुर गीत गाते हुए संगीत की टोली चल रही थी, तो वहीं भव्य झांकियाँ सभी को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। बच्चे से लेकर सभी आयु के भाई बहिनों ने उत्साह के साथ गीत गाते, गुनगुनाते चल रहे थे। शोभायात्रा का स्थान-स्थान पर भव्य स्वागत हुआ।

शोभायात्रा विभिन्न स्थानों से गुजरती हुई शांतिकुंज के मुख्य द्वार पहुँची। जहाँ अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने पूजन किया। इस अवसर पर श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि इस युग के भगीरथ परम पूज्य गुरुदेव के साहित्यों में समस्त समस्याओं का समाधान निहित है। आवश्यकता इस बात की है कि उनके साहित्य का अध्ययन करें, मनन करें और उसे व्यावहारिक जीवन में उतारें। उन्होंने कहा कि पचास वर्ष पूर्व जिस स्थान से शांतिकुंज की शुरुआत हुई, उसकी प्रगति देख सभी प्रसन्न हैं। इस अवसर पर उन्होंने महाशक्ति की लोकयात्रा (माता भगवती देवी शर्मा की जीवन यात्रा) पर आधारित आडियो बुक का विमोचन किया।

ऋषियुग्म की पावन समाधि स्थल पहुंचने के साथ ही शोभायात्रा सभा के रूप में परिवर्तित हो गयी। वरिष्ठ भाइयों ने ज्ञानगंगा के अवतरण के इस क्रम को सतत चलाते रहने की प्रेरणा दी। महाआरती एवं जयघोष के पश्चात सभा का विसर्जन हुआ। सद्गुरु ज्ञानगंगा सद्ग्रंथ स्थापना के इस क्रम में देश-विदेश के अनेक शाखाओं द्वारा भी भव्य शोभायात्रा निकाली गयी और परम वंदनीया माताजी को श्रद्धांजलि अर्पित की। सायंकाल दीपमहायज्ञ में सद्ज्ञान के विस्तार हेतु जन-जन तक युगसाहित्य पहुँचाने के लिए बड़ी संख्या लोग संकल्पित हुए।




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