हिमालय

 !!हिमालय भारतीय संस्कृ


ति एवं सभ्यता का प्रतीक!!

(कमल किशोर डुकलान रूडकी )

हिमालय दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य हिमालय के सतत् विकास,पारिस्थितिकी स्थिरता एवं पर्यावरण को संरक्षित करने तथा जैव विविधता को बरकरार रखना है।


देश के पर्यावरण को संरक्षित करने में एवं

जैव विविधता को बरकरार रखने में हिमालय की अहम भूमिका है। हिमालय हमें प्राणवायु देने के साथ हमारे जीवन का प्रमुख आधार होने तथा बेश कीमती जड़ी बूटियों का प्रमुख केन्द्र भी है। इसलिए प्रतिवर्ष 9 सितम्बर को हिमालय के संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में हमें हिमालय का संरक्षण मां के रूप में करना चाहिए।हिमालय के लिए सतत विकास, पारिस्थितिक स्थिरता और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाये रखने के लिए हिमालय के रक्षक सुंदरलाल बहुगुणा, पर्यावरणविद अनिल जोशी और राधा बहन के नेतृत्व में वर्ष 2010 में हिमालय दिवस की शुरुआत की गई थी।

आज हम देख रहे हैं कि मौसम चक्र में लगातर बदलाव हो रहा है। जिस कारण 

परिस्थितिकी तंत्र में तेजी से बदलाव होने के कारण तमाम बहुमूल्य वनस्पतियां विलुप्त होने की कगार पर हैं।भूस्खलन और बाढ़ की घटनाओं में भी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है और परिस्थितिकी में तेजी से बदलाव हो रहा है।पर्यटन और उद्योग के नाम पर

अनियोजित विकास इस बात का संकेत है कि हिमालय संकट में है। इन बदलावों से सिर्फ प्रकृति ही नहीं बल्कि समाज भी काफी हद तक प्रभावित हो रहा है। पिछले दिनों हमने चमोली जिले के सीमांत क्षेत्र में हिमखण्डों के टूटने पर हुई घटनाएं देखी।


हिमालय को अच्छा रखने के लिए मुख्य रूप से हवा,पानी,जंगल और मिट्टी को प्रमुख रुप से संरक्षित करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त हिमालई क्षेत्रों में पाए जाने वाले नेचुरल रिसोर्सेज का अधिक मात्रा में दोहन ना हो,जिससे पर्यावरण पर इसका असर पड़े। इसी तरह हिमालयी क्षेत्रों में भी सामाजिक विकास की आवश्यकताओं में उतना ही विकास किया जाना चाहिए, जिससे हिमालय पर इसका बुरा असर न पड़े।

हिमालय को बचाने के लिए यह जरूरी है कि पर्वतीय क्षेत्र में जो विकास कार्य किए जा रहे हैं. उससे पहले एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट स्टडी कराई जाए, जिससे यह पता चल सके कि किस क्षेत्र में कितना विकास कार्य किया जा सकता है। हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट लगाए जा सकते हैं या नहीं. सड़क कितनी चौड़ी बना सकते हैं। टनल बना सकते हैं या नहीं समेत तमाम बिंदुओं पर जानकारी मिल जाती है। एसेसमेंट स्टडी बहुत जरूरी है।इसीक्रम में वाडिया इंस्टीट्यूट भी लगातार तमाम तरह की स्टडी करता रहता है। जिसकी जानकारियां सरकारों तक पहुंचाई जा रही हैं।

 हिमालय हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है,क्योंकि हिमालय से ही जल, प्राणवायु समेत तमाम बहुमूल्य जड़ी-बूटियां प्राप्त होती हैं। जिस तरह से लगातार पर्यावरण में बदलाव देखा जा रहा है, ऐसे में अभी से ही लोगों को सतर्क होने की जरूरत है। हिमालय को बचाने के लिए सभी को एक साथ आगे आना होगा। तभी हिमालय को बचाया जा सकता है। जब हिमालय बचा रहेगा,तभी हमें नेचुरल रिसोर्सेज प्राप्त होंगे।हिमालय दिवस के मौके पर हिन्दी साहित्य के जाने-माने साहित्यकार सोहनलाल द्विवेदी की कुछ पंक्तियां याद आती हैं...

युग युग से है अपने पथ पर,

    देखो कैसा खड़ा हिमालय !

डिगता कभी न अपने प्रण से,

     रहता प्रण पर अड़ा हिमालय !

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