परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानंद मुनि ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को किया स्मरण


🟠 *भारतीय आदर्शों के आधार स्तंभ हैं गांधीजी और शास्त्रीजी*


*ऋषिकेश, 2 अक्टूबर (अमरे



श दुबे संवाददाता गोविंद कृपा ऋषिकेश )परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने आज देशवासियों को महात्मा गाँधी की 152 वीं जयंती की शुभकामनायें देते हुये कहा कि महात्मा गाँधी जी केवल एक व्यक्ति नहीं थें बल्कि वे विचार क्रान्ति के अग्रदूत थें। उनके विचार केवल गाँधी युग तक ही प्रासंगिक नहीं थे अपितु उनके विचारों की प्रासंगिकता वर्तमान युग में और भी अधिक बढ़ गयी हैं। 

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने आज भारत के दूसरे प्रधानमंत्री माननीय श्री लालबहादुर शास्त्री जी की जयंती के अवसर पर उन्हें याद करते हुये कहा कि ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देकर भारत के भविष्य को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हमारे प्यारे शास्त्री जी को भावभीनी श्रद्धाजंलि।

महात्मा गाँधी जी स्वच्छता को ईश्वर की भक्ति के बराबर मानते थे। वे चाहते थे कि भारत के सभी नागरिक एक साथ मिलकर देश को स्वच्छ बनाने के लिए कार्य करें। वर्तमान समय में माननीय प्रधानमंत्री जी गाँधीवादी दर्शन से प्रभावित होकर स्वच्छ भारत अभियान और लोकल फाॅर वोकल अभियान चला रहे हैं, जो वास्तव में अनुकरणीय है। अब देश के प्रत्येक नागरिक को गाँधी जी के स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने के लिये कदम से कदम मिलाकर चलना होगा।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि आधुनिक भारत के निर्माण में महात्मा गाँधी जी का महत्वपूर्ण योगदान था, उनकी शिक्षा नैतिकता तथा स्वावलंबन संबंधी सिद्धांतों पर आधारित थी। वे एक ऐसी शिक्षा पद्धति का निर्माण करना चाहते थे जिसका मुख्य उद्देश्य केवल रोजगार प्राप्त करना नहीं बल्कि बच्चों को नैतिक मूल्यों के साथ शिक्षित भी करना है।

वर्तमान समय में बदलते परिवेश को देखते हुये बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा भी दी जानी चाहिए, जिससे कि आज का युवा वर्ग परिवार, समाज और राष्ट्र के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सके। हमें गाँधी जी के दर्शन से सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, स्वावलंबन और नैतिकता की शिक्षा मिलती है। वर्तमान समय में अक्सर देखा गया है कि युवावर्ग सत्य और कठोर परिश्रम को सफलता के लिए अपर्याप्त मानते हैं। ऐसे में गाँधी दर्शन सादगी, शान्ति, संतोष और आनंद की शिक्षा देता है। 

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि हमारे युवा भौतिक सुखों के पीछे भाग रहे हैं और आत्मिक सुखों की अनदेखी कर रहे हैं इसलिये उन्नति व प्रगति के बाद भी वे अपने जीवन में रिक्तता का अनुभव करते हैं परन्तु यह रिक्तता तभी पूर्ण हो सकती है, जब वे व्यस्त रहते हुये मस्त रहें। गाँधी जी का मानना था कि केवल मानसिक, शारीरिक और भौतिक दृष्टि से ही विकास करना पर्याप्त नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मण्ड के प्रति दया, प्रेम, सेवा और जीवन के नैतिक मूल्यों को महत्व देना चाहिए ताकि व्यक्ति का सर्वांगीण विकास हो सके और विश्व में शांति और सद्भाव बढ़े, आईये इन्हीं दिव्य गुणों के साथ जीवन में आगे बढ़ने का संकल्प लें।

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