ग़ज़ल
इश्क़ की कैसे खुमारी जाएगी।
साथ अपने ये बिमारी जाएगी।।
रात भर आते रहे हो ख़्वाब में।
किस तरह सूरत बिसारी जाएगी।।
मौत है आंखें बिछाए देखिए।
शान से अपनी सवारी जाएगी।।
आइना रूठा पड़ा है क्या करें।
अब नज़र कैसे उतारी जाएगी।।
आंख को यूं नम न करना 'दर्द' तुम।
घर से जब मय्यत हमारी जाएगी।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094
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