मदन कौशिक का तोड़ निकाल पाएगी क्या कॉन्ग्रेस

 कांग्रेस तोड़ पाएगी क्या मदन कौशिक का तिलिस्म?



उत्तराखंड में चुनाव आचार संहिता कभी भी लग सकती है ऐसे में भाजपा कॉन्ग्रेस चुनावी मोड में आ चुकी है विधानसभा चुनाव की आहट से हरिद्वार में राजनीतिक तपिश बढ़ने लगी है राजनीतिक दलों के कार्यक्रमों की क्षेत्र में अचानक से बाढ़ आ गई है और विधानसभा के दावेदारों ने अपनी सरगर्मी बढ़ाते हुए अपने आकाओं की गणेश परिक्रमा तेज कर दी, वही स्वयं का टिकट पक्का मानने वाले नेताओं ने अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने की जुगत लगानी शुरू कर दी है ।कांग्रेस में विभिन्न गुटों के नेता स्वयं को प्रमुख दावेदार मानते हुए शहर में अपने फ्लेक्स वह फोटो लगाने की जुगत में लग गए हैं ।कॉन्ग्रेस की तैयारी अभी तक कुछ कार्यक्रमों और पोस्टर बैनर तकी दिखाई देती है । जमीनी स्तर पर ना तो कांग्रेस का कोई नेता तैयारी करता दिखाई देता है और ना ही कांग्रेस के पास संगठनात्मक ढांचा है |


वहीं कांग्रेस से संठनात्मक दृष्टि से बहुत आगे भाजपा बूथ स्तर तक पहुंचने में कामयाब हो गई है वहीं भाजपा के मुख्य दावेदार मदन कौशिक अपने खास अंदाज वह अपनी व्यक्तिगत टीम व भाजपा संगठन के सहारे अभी तक अपनी अजय बढ़त हासिल किए हुए हैं। कांग्रेस भाजपा के अतिरिक्त अन्य दल अभी तक मात्र उपस्थिति ही दर्ज करवाते दिखते हैं ।वर्तमान परिस्थितियों में मदन कौशिक को अपने ही दल के भीतर से ही चुनौती मिलने के आसार नजर आते हैं ।इसी को भापकर मदन कौशिक अपने दो विरोधियों को संगठन से बाहर का रास्ता दिखा कर जता चुके हैं कि हरिद्वार विधानसभा में उनकी इच्छा के विपरीत भाजपा में कुछ भी संभव नहीं है।


वहीं भाजपा के एक पक्ष का यह भी कहना है कि भाजपा संगठन इस बार मदन कौशिक को चुनाव मैं ना उतार कर पूरे प्रदेश में चुनाव के नेतृत्व करने का निर्देश दे सकता है क्योंकि संगठन को विगत विधानसभा चुनाव का स्मरण है कि पूरे प्रदेश में भाजपा को बंपर विजय दिलवाने वाले तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को रानीखेत विधानसभा में हार का मुंह देखना पड़ा था ।इसी स्थिति को भाप कर मदन कौशिक क्षेत्र से अपने परिवार के अतिरिक्त किसी संत पर भी दांव लगा सकते हैं । मदन कौशिक के कार्यक्रमों में इन संतों की उपस्थिति व मदन कौशिक की इन संतो से मुलाकात चर्चाओं को बल दे रही है ।अब देखना यह है कि कांग्रेस अपने गुटबाजी से ऊपर उठकर मेयर चुनाव की भांति क्या कौशिक की वर्तमान तक अजय समझे जाने वाली सीट को जीत पाती है ।कांग्रेस की संभावनाओं को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत निरंतर मजबूती प्रदान करते दिख रहे हैं। जिले में हरिद्वार सीट पर हरीश रावत की सक्रियता से भाजपाइयों को भी लगने लगा है कि इस बार परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं वही कौशिक खेमा भाजपा के अंदर खाने विरोध से निश्चित दिखाई देता है ।इसका एक कारण निशंक खेमे का कमजोर होना भी है निशंक खेमे के अधिकांश नेता न तो सक्रिय नजर आते हैं और ना ही उनमें उत्साह दिखाई देता है। निशंक  क्या बीमार हुए , उनका तो पूरा खेमा ही बीमार हो गया ऊपर से केंद्रीय मंत्रिपरिषद छुट्टी से ऐसा लगता है कि उनकी राजनीति छुट्टी हो गई है उनके स्पर्श गंगा में भी बर्फ जम गई है ऐसा तो नहीं कहीं निशंक और दूसरे लोगों से  आने वाली राहत स्पर्श गंगा को मिलनी बंद हो गई हो । वैसे स्पर्श गंगा का खेवनहार गंगा पुत्र पहले ही मदन खेमे में जा चुका था जो आजकल पारिवारिक कलह से  दो -चार हो रहा है उसका तो वह हाल हुआ है कि धोबी का घर का ना घाट का अब देखते हैं आगे क्या होता है यह तो वक्त ही बताएगा की  मदन का तिलस्म टूटेगा या नहीं हरीश रावत की बड़ी-बड़ी बातें क्या असर दिखाती है


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