ग़ज़ल
दुख किसी से कहा क्यों करें।
दर्द दिल से जुदा क्यों करें।।
जिंदगी रोज मिलती नहीं।
जिंदगी से गिला क्यों करें।।
आपकी बात तो ठीक है।
दूसरों से मिला क्यों करें।।
जब बुरा कुछ किया ही नहीं।
हम किसी की सुना क्यों करें।।
भूल जाएं न हंसना कहीं।
रोज रोते रहा क्यों करें।।
इल्म जब शायरी का नहीं।
मीर से फिर दगा क्यों करें।।
दर्द का है अलग ही मजा।
दर्द की हम दवा क्यों करें।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094
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